Wednesday, February 25, 2009

ज़हाज में दीदी की चुदाई

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बालकनी में भैया ने चोदा

A brother sister love story by Neha Verma

मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे।
एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड........ उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया....पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया.... मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।
मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले.... वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था....पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है........तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा........धत्त.... ये क्या....सोचने लगी....।
मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।
मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था.... मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी....।
मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे.... पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था....और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
मैने शुरुआत कर दी...."क्या बात है मुन्ना.... आज तुम बैचेन से लग रहे हो....? "
"हां दीदी.... मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है.... " उसका लन्ड खडा हुआ था.... उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा.... मुझे सिरहन सी आ गयी.... मैं उसकी हालत समझ रही थी.... दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई.... पर झिझक के मारे वापस उठ गयी.... ।
रात के ११ बज रहे थे ....पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी....और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था.... दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ....फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया.... मैने उसे कुछ नहीं कहा.... बस झुरझुरी सी आ गयी।
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।
उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा .... मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये....और दबा दिये.... मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी....वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।
"भैय्या.... हाय रे.... मत कर ना...." मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा....और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये.... नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
"दीदीऽऽऽऽऽऽ........" कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया.... मेरे स्तन जोर से दबा दिये।
"भैय्या.... मर गयी .... हाऽऽऽय...." उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे....मैं तो खुशी से मरी जा रही थी.... हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा.... मैं भैया से चुद जाऊंगी.... मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।
"भैय्या.... हाय मत कर ना........ ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है...."
"जाने दे बहना.... आज इसे जाने दे.... वर्ना मैं मर जाऊंगा.... दीदी .... प्लीज...."
मेरी सिसकारी निकल पडी.... उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था.... पर मैने कुछ कहा नहीं.... ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई....उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया.... और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे .... उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे।
"नेहा दीदी.... आप कितनी अच्छी है.... हाय....मुझे कितना मजा आ रहा है...." मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था.... पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी....
"भैय्या .... अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़.... आगे भी तो आग लगी है मुन्ना...." मैने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था।
"भैया.... देखो मैं झड़ जाऊंगी.... प्लीज़.... अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना....।"
मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था.... बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे....कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी .... लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी.... मन में कसक सी उठी.... और एक हूक सी उठी.... एक सिसकारी निकल पड़ी।
"चोद दे मुन्ना.... चोद दे.... अपनी बहन को चोद दे.... आज मुझे निहाल कर दे........" मैं सिसकते हुए बोली।
"हाय दीदी....इसमें इतना मजा आता है.... मुझे नहीं मालूम था.... हाय दीदी...." मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी.... शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध.... गलत काम .... चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था........ जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
"मुन्ना.... हाय तेरा मोटा लन्ड रे.... कितना मजा आ रहा है....फ़ाड दे रे मेरी चूत...."
"दीदी रे.... हां मेरी दीदी........ खा ले तू भी आज भैया का लन्ड........ मुझे तो दीदी.... स्वर्ग का मजा दे दिया...."
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी.... मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था.... मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी.... आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया.... उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।
"अब जोर से चोद दे भैय्या .... दे लन्ड.... और जोर से लन्ड मार .... मेरी चूत पानी छोड़ रही है....ऊऊऊउईईईई.... दे ....और दे.... चोद दे मुन्ना...."
मेरी चरमसीमा आ रही थी.... मैं बेहाल हो उठी थी.... मुझे लग रहा था मुझे और चोदे.... इतना चोदे कि.... बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे .... और और.... अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी........मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर.... मेरा रोकना किसी काम ना आया.... बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया.... मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा.... एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा.... मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था.... लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था.... मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी....
"भैया....छोड़ दो अब.... हाय लग रही है........"
पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा.... ओह ओह ये क्या.... मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया.... मैं छटपटा उठी.... तेज अन्दर दर्द हुआ.... शायद जड़ तक को चीर दिया था....
"मुन्ना छोड़....छोड़ .... हाय रे.... फ़ाड़ डालेगा क्या........"
पर वो वास्तव में झड़ रहा था.... उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी....पूरा जोर लगा कर .... मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था.... उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी.... अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया....
"दीदी........ आज से मैं आपका गुलाम हो गया.... आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है.... मैं क्या कहूं...."
उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा........ हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई.... मेरे बोबे तन गये....मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा.... और.... और.... फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा ........ मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई........


nehaumavermaa@gmail.com

Tuesday, February 24, 2009

भैया से चुदाई

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मेरी छोटी बहन

मैं राहुल आज़ आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। मेरी एक छोटी बहन है जिसका नाम रेखा है। उसकी उमर १८ साल की है मेरी उमर २० साल की है। मेरी बहन की चूची काफ़ी सुडौल है, मेरी नज़र जब भी उसकी चूची पर जाती है तो उसे दबाने की इच्छा होती है। किन्तु मैं मां-बाप के डर के कारण कुछ नहीं कर सकता हूं। एक दिन घर में बहुत से मेहमान आ गये जिसके कारण सोने के जगह की कमी होने लगी। किसी तरह एडजस्टमेंट किया गया। मैं और मेरी बहन जमीन पर सो गये। रात में ठंड के कारण मेरी बहन मेरे से सट गयी, मैने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसकी चूची पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा, उसकी चूची काफ़ी हार्ड थी। चूची छूने के कारण मेरा लंड खड़ा हो गया। अचानक मेरी बहन की आंख खुल गयी और वो हमसे दूर हो गयी, दूसरे दिन सभी लोग मेहमान को घुमाने बाहर गये। मेरी बहन नहीं जा सकी क्योंकि उसका दूसरे दिन एक्साम था। मैं भी घर में ही रह गया। दोपहर में खाने के बाद वो सो गयी, घर में सिर्फ़ मैं ही दोनो थे। उसको सोता देख कर उसकी बुर चोदने की इच्छा होने लगी किन्तु डर के कारण हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं साइंस का स्टुडेंट हूं और प्रैक्टिकल के लिये क्लोरोफोर्म लाया था। मैने क्लोरोफोर्म को अपने रुमाल में डाल कर उसके नाक के पास ले गया, चूंकि वो गहरी नींद में थी इसलिये वो बेहोश हो गयी। मैने जल्दी से उसके कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूची दबाने लगा। चूची दबाते दबाते मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया और उसके टोप को ऊपर कर उसके बरा को बाहर निकाल दिया उसकी दोनो खूबसूरत चूचियां मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी मैने उसको जोर जोर से दबाने लगा और उसका स्कर्ट ऊपर कर पैंटी भी निकाल दिया। अब मेरे सामने उसकी बुर एकदम नंगी थी। उसके उठे हुए बुर को देख कर बरदाश्त नहीं हुआ। और मैने अपने सारे कपड़े उतार कर उसकी बुर पर अपना लंड रगड़ने लगा, बुर पर अपना लंड रगड़ने के बाद मैं अपना सुपाड़ा उसकी बुर के छेद पर रख कर हल्का सा झटका दिया। सुपाड़ा बुर में थोड़ा सा घुस गया। रेखा बेहोशी के बाद भी कराह उठी। काफ़ी कोशिश के बाद भी मेरा लंड बुर में घुस नहीं रहा था। ये सब करीब एक घंटे तक चलता रहा। क्ल्रोरोफोर्म का असर भी अब धीरे धीरे कम हो रहा था। मैने उसके बुर में एक झटका और दिया। उसके बुर से खून निकलने लगा और वो दर्द से कराह उठी, दर्द के कारण उसकी बेहोशी टूट चुकी थी। वो अपने आप को नंगा देख कर और बुर में लंड पा कर डर और घबरा गयी और रोने लगी और बोली भैया ये आप क्या कर रहे है, उसको जगा देख कर मैं भी घबरा गया किन्तु अब कुछ नही हो सकता था इसलिये उससे बोला। रेखा मेरी प्यारी बहन तुमको सोते देख कर और तुम्हारी चूची को देख कर मैं अपना होश खो बैठा और तुम्हारे साथ ये सब करने लगा। वो बोली मुझे छोड़ दो मैं सब मम्मी और पापा को बताउंगी। मैने काफ़ी मन्नत की किन्तु वो नहीं मानी और छुड़ाकर भागने की कोशिश करने लगी। मैं भी अपने आप को फंसता देख कर उसके बुर में एक जबरदस्त झटका दिया और मेरा चौथाई लंड उसकी बुर में घुस गया वो चिल्लाने लगी और लंड निकालने के लिये प्रार्थना करने लगी तो मैं बोला मैं लंड तभी निकालूँगा जब तुम किसी से नहीं कहने का वादा करोगी। वो नहीं मानी तो मैने एक झटका और दिया और मेरा थोड़ा लंड और उसके बुर के अंदर चला गया। वो दर्द से रोने लगी और मैं अपनी शर्त मनवाने पर तुला था। दर्द उसको बरदास्त नहीं हो रहा था इसलिये वो प्रोमिस की कि किसी से नहीं बतायेगी। तब जाकर मैने अपना लंड उसके बुर से निकाला। वो बैठ कर रोने लगी और अपने दोनो हाथों से अपनी चूची छुपाने लगी। मैं उसके पास जाकर बोला अब तो तुम्हारी बुर में मेरा लंड जा ही चुका है तो तुम क्यों शरमा रही हो, बो बोली ये ठीक नहीं है। मैं बोला जवानी में सब ठीक होता है। शादी के बाद तुम तो किसी से चुदवाओगी ही तो आज़ क्यों नहीं और उसकी चूची को हल्के हल्के सहलाने लगा, धीरे धीरे उसको भी मज़ा आने लगा और चुप चाप चूची सहलवाती रही। मैने अपने लंड को उसके हाथों में दे दिया किन्तु उसने अपना हाथ हटा लिया और बोली ये मैं नहीं कर सकती हूं ये सब मैं सिर्फ़ अपने पति के साथ ही कर सकती हूं, तो मैं बोला चलो मैं ही तुम्हारा पति बन जाता हूं और मैने सिन्दूर उसकी मांग में जबरदस्ती भर दिया, उसने कहा भैया आपने ये क्या कर दिया, मैं बोला अब मैं तुम्हारा भाई नहीं तुम्हारा पति हूं, वो चुप रही तो मैने उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसके चूची को चूसने लगा उसके बाद बेड पर लिटा कर उसकी बुर में धीरे धीरे अपना लंड डालने लगा अब वो विरोध नहीं कर रही थी, मैने उसको कहा अब मैं तुम्हारा पति हूं तुम मेरे लंड को चूसो वो मेरे लंड को चूसने लगी धीरे धीरे वो भी उत्तेजित हो गयी तो मैने अपने लंड को काफ़ी कोशिश के बाद पूरा डाल दिया और करीब आधा घंटे तक चोदता रहा और अपना पानी भी उसके बुर में छोड़ दिया। उस दिन के बाद वो मुझे ही अपना पति मानती है और जब भी मौका मिलता है खूब चुदवाती है। एक दिन उसने बताया कि वो मां बनने वाली है। मैं घबरा गया और एक दिन प्लान बना कर उसको ले कर एक दूसरे शहर में आ गया। अब वो मेरी पत्नी की तरह रहती है और मेरे एक बेटे की मां है।

बड़ी बहना लेटी रहना

मेरा नाम आशा है । मेरा छोटा भाई दसवी मैं पढ़ता है । वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय १९ की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है । एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अमित के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ । मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया । फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा । मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, "अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता" । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली "अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, "दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।"अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।"और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, "चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला "देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।"अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। "दीदी मुझे शर्म आती है। "साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा "ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, "मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, "अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ" ।"अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, "अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ" ।मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, "बस दीदी" और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, "क्यों भय्या मज़ा आया""सच दीदी बहूत मज़ा आया" । "अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?" "दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा" । इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।"अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना" । "अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है" ।"चल शैतान कहीं के" । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है । अमित के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । अमित के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अमित के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अमित का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अमित के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । अमित भी स्कूल जाने को तैयार था । नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, "चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ" । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था । मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, "कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?""अच्छा दीदी" और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।"क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित""दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ" । "अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में""हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया" ।"तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं" ।"तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का" ।"चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।"अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा" ।तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । अमित २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, "दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?" "ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या" "दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है" । मैंने हंसी दबाते हुए कहा, "क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं" । "दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो" । "नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये" ।फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, "अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?""हाँ दीदी सुधा से" ।"कहाँ तक""बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं" ।मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, "कभी उसकी लेने का मन करता है?""दीदी आप कैसी बात करती हैं" । वह शर्मा गया तो मैं बोली, "इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता" । "लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है" । "तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है" । मैंने कहा ।"उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है" । "जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी" उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा । मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, "अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ" ।वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, "मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे" । यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, "तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?""अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे" । आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।"अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी" । "पर कैसे दीदी" । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, "देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों" ।अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, "दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती" । "तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर" । "कौन सा दीदी" "बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी" ।"पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है" । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, "मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है" ।"नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है" । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया । "अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता" । मैंने इठला कर पूछा ।"इनको सहलाने का और इनका रस पीने का" । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । "तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना" । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । "अरे ये तो अभी से तैयार है" ।तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा "अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा" ।उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी । वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, "अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती" ।"ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया" । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा । मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, "अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है" ।उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, "कभी किसी को किस किया है?" "नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है" । "बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये" ।कैसे"उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया । अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।"ऐसे" ।वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, "दीदी मैं भी करूं आपको एक बार" "कर ले" । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।अमित ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।मैं बोली, "चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ" । "दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ" "क्या" मैंने पूछा । "लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे" ।ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, "दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ" ।"नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन" । "दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये" । "अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा" । "दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी" ।मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, "तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?" और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन अमित ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है । ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे" । "नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ" । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, "ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है" । वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, "हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है" ।"दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर" ।"हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था" । "ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी" । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।"अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती" । और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।"दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ" । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । "अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ" । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, "अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत" ।मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, "सच दीदी" । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।"तू बहुत किस्मत वाला है अमित" । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी" "अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था" ।"हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था" । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी ।वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और "हाय आशा मेरी जान" कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और "हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी ।चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था । हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, "क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में" उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, "बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ" । "तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है" "नहीं दीदी यह बात नहीं है" । "तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का" ।"नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं" ।"कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?" "हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया" । "तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है" । "सच दीदी" "हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी" ।"नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा" "अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा" । "ओह दीदी ये कैसे होगा""घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा" ।"हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा" । "जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये" । "दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार" । और लण्ड को चूत पर दबा दिया ।"सिर्फ एक बार" । मैंने ज़ोर देकर पूछा । "सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा" ।"सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं" । "क्यों दीदी" अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, "अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे" "हाँ दीदी" ।"ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं" ।उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, "ओह दीदी यू र ग्रेट" ।

बड़े भैया बने सैंया

A story by नेहा अग्रवाल

मेरा नाम मनीषा है और मैं दिल्ली में रहती हूं अपने पति संजय के साथ। मेरी कहानी बहुत ही अजीब है पर है सच्ची। बात तीन साल पहले की है, तब मैं अट्ठारह साल की थी। मैंने बंगलौर में स्नातिकी की शिक्षा लेना बस शुरू ही किया था। मेरे ताऊ का एक लड़का था जिसका नाम संजय है। वैसे मेरे खानदान में पापा तीन भाई हैं और अगली पीढ़ी में मैं सबसे छोटी हूं। हम कुल आठ भाई बहिन हैं और संजय भइया दूसरे नम्बर पर और मैं आखरी। मेरा कद ५’२" है और काफी खूबसूरत भी और शायद मैं वाकई में हूँ भी। वैसे मेरी दो कजन बहनें भी काफी खूबसूरत हैं। पर मैं अपनी ही धुन में रहती थी। मेरा फिगर ३४ -२४ -३४ है। हम भाई बहिन आपस में काफी घुले मिले हैं इसलिए अक्सर चुहल बजी चलती थी। कभी कभी तो ये भी आपस में बातें होती थी कि यार तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो या हो गए हो। संजय भइया करीब २५ साल के थे उस वक्त। उनकी हाईट काफी थी ५’१०" और उनका व्यक्तित्व भी काफी अच्छा था। कभी कभी लगता कि वो मुझे या मेरी एक और कजन के बदन को निहारते हैं, पर मैंने कभी उतना ध्यान नहीं दिया। वैसे मुझे वो अच्छे तो लगते थे पर मैंने उस तरह कभी सोचा नहीं। भैया दिल्ली में नौकरी करते थे और उनका टूर लगता रहता था। एक बार उनका टूर बंगलौर का लगा और वो मुझसे मिलने मेरे कालेज़ आ गए। मैं भी खुश हो गई कि चलो कोई घर से मुझसे मिलने आया तो. वो मेरे हॉस्टल आ गए और हम दोनों गले मिले प्यार से और उन्होंने मुझे गाल पर एक हलकी सी पप्पी दी तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई. मुझे अच्छा लगा पर दूसरे सेंस में नहीं. वो मेरे दोस्तों से मिले और ये कह कर चले गए कि शाम को आऊंगा मिलने. मैं भी खुश थी कि भइया आए तो सही. भइया शाम को ५ बजे आ गए और कहा कि चलो ३-४ दिन मेरे साथ रहो कंपनी के होटल में और घूमना मजे करना। मैं भी चहक उठी और वैसे भी उन दिनों छुट्टियाँ थी ५ -६ दिनों की तो मैं तैयार हो गई और १ -२ ड्रेस ले कर जैसे ही चलने लगी तो उन्होंने कहा कि मैं खरीद दूँगा तो मैं और खुशी से झूम उठी. हम दोनों उनके ऑफिस की कार से उनके होटल में गए. हम लोगों ने कुछ खाया पिया और घूमने चले गए और रात में ९ बजे के करीब होटल लौटे. मैं काफी थक गई थी इसलिए बिस्तर पर आ कर धम से पसर गई. मैंने उस वक्त टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था और इस वजह से मेरे टाइट हाफ सर्कल बूब्स तने हुए थे. वैसे भी मेरे बूब्स काफी टाइट थे. भइया आए और सीधे बाथरूम में घुस गए और फिर निकल कर आते ही मेरे बगल में वो भी धम से लेट गए। ५ मिनट बाद भइया ने मेरी तरफ़ करवट ली और बोले “क्या बात है बहुत सेक्सी और सुंदर लग रही हो,” और ये कहते हुए उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और उनका एक हाथ ठीक मेरी नाभि के ऊपर था. मैं भी मुस्कुरा दी. मैंने अभी तक भइया को कभी उस तरह से नहीं देखा था. मैंने कहा,“यह तो सब बोलते रहते हैं।” उन्होंने कहा “अरे सच्ची ! वाकई में तुम बहुत कमाल की लग रही हो।” मैं शरमाते हुए भइया से लिपट गई. भइया ने मुझे तब अपनी बाँहों में भर लिया और अपने सीने से चिपका लिया. उस वक्त मेरे बूब्स भिंचे हुए थे. मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई जब भइया ने प्यार से भींच कर मेरी गर्दन पर किस किया. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चली गई नहाने. पर नहाने के बीच में याद आया कि मैंने नाईटी नहीं ली है तो मैंने भइया को आवाज़ दी कि भइया कोई दूसरा तौलिया दे दीजिये. बाथरूम में शटर लगा हुआ था शावर केबिन में और कोई लाक नहीं था। बस अलग अलग केबिन थे, इसलिए भैया अन्दर आ गए। मैंने शटर ज़रा सा सरका कर तौलिया ले लिया। मैंने ध्यान नहीं दिया पर शायद वो भी तौलिया लपेटे थे क्योंकि उन्होंने भी नहाना था। वो शीशे के सामने अपना चेहरा धोने लगे। मैं शटर से जैसे ही बाहर निकली और वो जैसे ही मुड़े तो हम दोनों टकरा गए और मेरा तौलिया खुल गया। मैं घबरा गई और तुरन्त अपने दोनों हाथ अपने स्तनों पर रख लिए क्योंकि अब मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरा योनि-क्षेत्र पूरी तरह से बाल- रहित किया हुआ था। भैया ने मुझ पर ऊपर से नीचे तक नज़र डाली, उनके तौलिये के अन्दर भी कुछ उभार सा आ रहा था, पर उस वक्त मैं समझ नहीं पाई. मेरी आंखों में आँसू थे। भैया ने तुरन्त तौलिया उठाया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझने क मौका ही नहीं मिला। मैं भी सन्न चुपचाप सर झुकाए खड़ी थी। भैया ने तौलिया मेरे कन्धे पर डाला और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं भी उनसे चिपक गई और रोने लगी। मैंने यह भी ध्यान नहीं दिया कि मैं अभी भी नंगी हूँ। मेरे बूब्स उनके सीने से चिपके हुए थे। उनका भी शायद तौलिया खुल चुका था और उनका औज़ार यानि लिंग करीब ८-९" लम्बा और २" मोटा मेरी कुँवारी योनि पर टिका हुआ था। पर उस वक्त मेरा इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं गया। भैया मुझे चुप कराते हुए बोले।" अरे पगली मनु !(प्यार से वो मुझे मनु कहते हैं) सिर्फ़ मैं ही तो हूँ ! क्या हुआ?" ये कहते कहते उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और कमरे में ले गये और बिजली बंद करके मद्धम रोशनी कर दी ताकि मेरी शर्म दूर हो जाए। ये सब ३-४ मिनट में हो गया था। उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे माथे को किस किया और कहा- चिन्ता मत करो। मैंने उन्हें चिपका लिया और उन्होंने मुझे। उनका लम्बा मोटा लिंग मेरी कुँवारी योनि पर रगड़ खा रहा था पर इस बात पर काफ़ी देर बाद मेरा ध्यान गया। भैया ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में के कर होठों को किस किया तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा- भैया! यह सब ठीक नहीं है। मैं यह कहना चाहती थी कि भैया मुझे होठों पर किस करने लगे । फ़िर रुक कर मेरे बालों को हटा कर मेरी गरदन पर किस किया तो मैं उनसे कस कर लिपट गई। वो फ़िर मुझे बिस्तर पर ले गए और लिटा कर मेरे ऊपर लेट गए। हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से कस कर चिपके हुए थे और हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। वो मेरे होठों को और मेरी जीभ को चूस रहे थे, मैं अपने होश खोती जा रही थी।उनका लण्ड मेरी अनचुदी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मैं पागल हुई जा रही थी। फ़िर भैया मेरी एक चूची को जोर से दबाने लगे और दूसरी के निप्पल को चूसने लगे जिससे मैं और पगला गई। अचानक मैं ज़रा होश में आई तो कहा- भैया ये सब ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चला तो मैं तो मर ही जाऊंगी। वो बोले- मनु जान ! क्या तुम मुझे ज़रा भी नहीं चाहती ! मैं तुम्हारे लिए इतने दिनों से तड़प रहा था और आज तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाना चाहता हूँ। मैंने कहा- भैया…ऽऽऽ… ! और मेरे आगे कुछ कहने से पहले उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा, फ़िर कहा- आज से मैं भैया नहीं, तुम्हारा पति और जान हूँ, अगर ज़रा भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई जगह है तो बोलो। मैंने कहा- मैं आपको चाह्ती तो हूँ पर … ! मेरे आगे बोलने से पहले उन्होंने मेरे होठों पर उंगली रख दी और कहा- बस हम आज से पति-पत्नी हैं और आज हमारी सुहागरात है। मैंने कहा- लोग क्या कहेंगे? उन्होंने कहा- मैं किसी की परवाह नहीं करता और अब हम तुम पति-पत्नी बन कर एक दूसरे को सुखी रखेंगे ………. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ मनु जान ! मैंने कहा- मैं भी तुम्हें प्यार करती हूँ ……. भैया ! भैया कहते ही उन्होंने मुझे कहा- आज से मैं तुम्हारा भाई नहीं पति हूँ और अब तुम मुझे कुछ और कहा करो! मैंने कहा- क्या ! वो बोले- कुछ भी … जैसे जान या कुछ भी ! मैंने कहा- ठीक है भैया .. ओह सोरी … जान ……. आई लव यू ! हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से कस के चिपके हुए थे। भैया ने फ़िर मुझे किस किया और मेरी जांघों के बीच में आ गए। मैंने अपनी टांगें उनके पैरों पर रख ली थी। उन्होंने अपने एक हाथ को मेरे सर के नीचे रख कर किस किया और दूसरे से मेरी अनचुदी कुँवारी चूत में उँगली की तो मेरे मुंह से सिसकारी सी निकली-आऽऽऽऽऽऽह ! भैया ने कहा- जान अपने पति के लण्ड को अपनी कुँवारी चूत पर रखना जरा ! मैंने कहा- क्या होगा जान …! कहते हुए उनके लण्ड को अपनी चूत पर रखा। हम दोनों अब एक दूसरे का साथ देने लगे थे। भैया पहले धीरे धीरे मेरे अन्दर अपना डालने लगे। मैं सिसकारी लेने लगी थी। एक इन्च जाते ही मुझे दर्द का अनुभव हुआ तो मैंने कहा- आऽऽऽऽह्ह्ह …… अब बस … जान, अब बस भी करो, दर्द हो रहा है …! वो बोले- चिन्ता मत करो, आज सब कुछ होगा … दर्द, मज़ा और हमारी सुहागरात …… आऽऽह ! कहते हुए उन्होंने एक झटका दिया कस के आऽ…॥अऽऽऽऽअऽह्ह्हहहाऽआऽऽऽ। ऊईऽऽऽ माँ मर गई मैं ! प्लीज़ भैया अब निकाल लो अब और दर्द नहीं सहा जा रहा है ! मैं रोते हुए बोली। उन्होंने कहा- भैया बोलोगी ? यह कहते हुए एक और झटका मारा, लण्ड शायद ५” अन्दर जा चुका था। मैंने कहा- सोरी जान ……. लेकिन बहुत दर्द हो रहा है ! वो बोले- जान चिन्ता मत कर, थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा। वो फ़िर मेरे बूब्स चूसने लगे। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम मिला तो उन्होंने फ़िर ३-४ जोरदार झटके मारे तो मेरी हालत ही बिगड़ गई और चीख निकल गई- आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ……………… मर गई … … माँअऽऽऽऽऽ ……! मेरी आंखों में आँसू थे। मैं उनसे चिपक गई और अपनी टांगों को उनकी कमर पर जकड़ लिया। वो मुझे किस करने लगे और हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर चूमने लगे। थोड़ी देर में मैं सामान्य होने लगी। तब भैया ने मेरे बूब्स को पकड़ा और अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर थोड़ा मज़ा भी था कुछ अलग तरह का- आऽऽऽऽह्ह्ह. ……. जान …….. आऽऽऽऽऽह्ह्ह्हाअ …… आज पूरी तरह से अपनी बना लो जानऽऽऽ … आऽऽऽअऽऽऽह्ह मैंने कहा तो भैया ने भी कहा- ओहऽऽ … जान …!. कमरे में हमारी आवाज़ें गूंज़ रही थी। मेरी सिसकारियाँ ज्यादा ही थी क्योंकि उनका ८ -९ इन्च लम्बा लण्ड मुझसे झेला नहीं जा रहा था। ५ मिनट तक वो मुझे लगातार रौंदते रहे, फ़िर मैं चीखी-जान आऽऽऽऽअऽऽआऽऽह्ह मुझे कुछ हो रहा है, पता नही क्या हो रहा है, मज़ाऽऽ आ रहा है आऽअ॥अऽ॥आऽऽऽह ! “ओऽऽह जान तू चरम पर है और मै भी ऽऽऽ जान ! मैं गया ऽऽ मेरा झड़ रहा है अआ ……..” उन्होंने लगातार ६-७ झटके मारे और हम दोनो एक साथ आनन्द के शिखर तक पहुँच गए। भैया मेरे ऊपर ही पसर गए और हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और स्नानघर में जाने लगे तो देखा बिस्तर खून से भरा हुआ था। मैं घबरा गई और बोली,“ ये क्या …… अब क्या होगा?” भैया बोले,“ इसमें डर कुछ नहीं, पहले पहले यही होता है” मेरी कमर में दर्द होने लगा था। हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाने गए तो एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी। भैया ने रगड़ कर मेरी चूत को धोया और मैंने उनके लण्ड को, जिससे हम दोनों गर्म हो गए। मैं थोड़ा शरमाई पर काफ़ी झिझक निकल चुकी थी। हम दोनों फ़व्वारे के नीचे खड़े थे। भैया नीचे बैठे तो मैंने कहा,“ये क्या करने जा रहे हो जान !” “मैं तो अपने होठों की मुहर लगाने जा रहा हूँ …… और अब तुम भी लगाना” वो मेरी चूत में उँगली करने लगे थे और जीभ भी फ़िराने लगे। मैं पागल हो उठी। मैं अपने एक स्तन को मसलने लगी और भैया हाथ बढ़ा कर दूसरे को। भैया मेरी हालत समझ गए और फ़र्श पर ही लिटा लिया। मेरी चूत में उनकी जीभ तैर रही थी और मेरे हाथ उनके सर को पकड़ कर मेरी चूत को दबा रहे थे। मैं अपने होठों को काट रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी टांगें उनकी गरदन में लिपट गई थी। फ़िर वो मेरे ऊपर आ गए और मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पे लपेट ली। मेरे दोनों हाथ उनकी गरदन में लिपट गए। उन्होंने फ़िर जोर का झटका मारा तो आऽऽऽह्हऽऽआ …॥अ…अह्…… जैसे मेरी जान ही निकल गई। फ़िर भैया मेरे बूब्स को दबाते और झटके मारते जाते। वो वहशी होते चले गए, मेरे बूब्स को निर्दयता से मसल रहे थे और दांतों से काट रहे थे, मेरी गरदन पर भी प्यार से काटा। वो जहाँ जहाँ अपने दाँत गड़ाते वहाँ खून सा जम जाता। मैं भी पागल हो जाती तो बदले में अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा देती और उनकी गरदन पर काट लेती। जंगलीपने से बाथरूम में मेरी प्यार भरी चीखें गूंज रही थी, जिससे भैया का जोश बढ़ता ही जा रहा था। यह सिलसिला आधे घण्टे तक चला और उतनी देर में मैं दो बार झड़ चुकी थी और भैया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फ़िर जब हम शांत हुए तो मैं तीसरी बार झड़ी थी। हम फ़्रेश हो कर कमरे में चले गए और थोड़ा आराम करके खाना खाया। फ़िर हम नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर बातें करने लगे। मैंने कहा,“भैया … ओह सोरी … जान, अब मेरा क्या होगा, मैं क्या करूँ और अब आगे का क्या प्लान है, मेरा मतलब भविष्य का, क्योंकि अब मुझे घबराहट हो रही है, मैं आपके बिना नहीं रह सकती।” वो बोले “चिंता मत करो जान मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, हम दोनों दिल्ली जा कर शादी कर लेंगे पर अभी किसी को नहीं बताएँगे.” मैंने कहा “ठीक है जान, चलिए अब सो जाते हैं क्योंकि कल आपको ऑफिस भी जाना है” वो बोले “चिंता क्यों करती हो जान, मैं तुम्हें तड़पता नहीं छोड़ सकता। आज ही हम एक हुए और क्या तुम मुझे तड़पता छोड़ दोगी जान?” मैंने कहा “नहीं जान …….. प्लीज़ ऐसा मत बोलो। आज हम नहीं सोयेंगे। आज हम एक दूसरे को पूरा सुख देंगे। आप मेरे साथ जी भर कर और जम कर करो और अपनी बीवी को रौंद डालो जान.” फिर भइया ने मुझे रात में तीन बार और जम कर चोदा और वो भी आधे आधे घंटे तक। और तब तक मैं बेहोशी की हालत में आ चुकी थी। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए। सुबह जब मैं उठी तो भइया ऑफिस चले गए थे और फिर १० .३० बजे फ़ोन भी कर दिया कि मैं २-३ बजे तक आ जाऊँगा। मैं बहुत थकी हुई थी और मेरा बदन भी काफी दर्द कर रहा था खास कर से मेरी कमर। मैंने फ्रेश हो कर नाश्ता किया औरफिर सो गई। मैं सीधे ३ बजे के करीब उठी तो काफी ठीक महसूस भी कर रही थी और देखा कि भइया मेरे सर को अपनी गोद में लिए हुए थे।

सगे भाई ने की जम कर चुदाई

A story by Ruby Singh

मेरा नाम रूबी है। मैं मुम्बई में नौकरी करती हूं। मैं और मेरा भाई राहुल दोनों जुड़वां हैं. मैं बचपन से ही पढने में तेज थी तो इस वजह से घर में मेरे भाई को हमेशा डांट पड़ती थी कि देख तेरी बहन कितनी तेज है और तू नालायक ... मैं मुंबई में अकेली रहती थी एक बी एच के हाउस में मलाड में, एक साल बाद मेरे भाई का भी मुंबई में जॉब लग गया ..मम्मी पापा ने उसे मेरे पास ही रहने को कहा, हम दोनों साथ रहते थे मगर हमारे अंदर कोई ग़लत फीलिंग नहीं थी ... मैं कभी कभी जब ज्यादा चुदाने के लिए भूखी हो जाती थी तो शायद होश नहीं रहते थे और भाई का अंडरवियर लेकर उसे अपने चूत में ऊँगली से डालती थी .... मुझे पता नहीं था कि मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचता है। कुछ दिनों बाद मैंने नोटिस किया कि मेरी ब्रा और पैंटी कभी भी मेरे रखे हुई जगह पे नहीं मिलती थी और उन पे सिलवटें भी बहुत होती थी. मुझे शक हो गया था कि मेरा भाई भी मेरी ब्रा पैंटी प्रयोग करता है मुठ मारने के लिए ..... फ़िर भी हम चुप रहते ...अब असली कहानी .... मैं अपने बॉस से पहले चुदवा चुकी थी और वही था मेरे एक साल में दो प्रमोशन का राज ... मेरे बॉस की उमर ४० की थी और उसका बॉस ५० का था ... मैं २६ की थी ... क्यूँकि अभी मेरा भाई मेरे घर पे रहता था तो बॉस को बहुत दिनों से मौका नहीं मिला था मुझे चोदने का .. तो वो मुझसे काफी नाराज रहता था और मुझे कभी कभी डांटता भी था ऑफिस में .... मेरा भाई अपने दफ्तर के काम से पुणे जा रहा था दो दिन के लिए .. मौके का फायदा उठाते हुए मैंने अपने बॉस को कहा कि आज रूबी आपकी है, मेरा भाई दोपहर को ही घर से निकलने वाला था, मैं शाम को जब घर आई तो मुझे लगा मेरा भाई जा चुका है .. मैंने अपने बॉस को फ़ोन लगाया और बातें करने लगी ... मेरा भाई उस वक्त बाथरूम में था .. उसे मेरे बॉस की आवाज़ तो नहीं पर मेरी आवाज़ साफ साफ सुने दे रही थी ... मैंने अपने बॉस से कहा .. आज रूबी को चुदवाना है अपने डार्लिंग से.. रूबी की चूत बहुत दिनों से प्यासी है...मैं थक गई हूं अपने भाई का अंडरवीयर अपनी चूत में डाल डाल कर.. मुझे लण्ड चाहिए प्लीज़ जल्दी से आ जाओ और मुझे जम कर चोदो... उधर मेरा भाई मेरी बातें सुनकर गरम हो गया था.. वो नहा कर बाहर निकला तो उसका लण्ड तन कर खड़ा था टॉवेल के ऊपर से ही दिख रहा था ... मैं समझ गई कि इसने सब सुन लिया फ़िर भी नाटक कर के बोली- तुम गए नही अब तक ... तो उसने कहा नही मेरे पेट में दर्द है, मैंने कहा कुछ दवा ले लो, उसने कहा नही मम्मी ने जो तेल दिया है उस से मालिश कर के सो जाऊँगा ... फ़िर मैं समझ गई कि आज भी मेरी चूत भूखी रह जायेगी क्यूँकि मेरा भाई नहीं जाने वाला ... मेरा भाई नाटक कर रहा था .. उसके दिमाग में सिर्फ़ मेरी बातें घूम रही थी ... वो भी अपनी प्यास मेरी चूत से मिटाना चाह रहा था ... उसने मुझसे कहा , रूबी प्लीज़ इस तेल से मेरे पेट पर मालिश कर दो ना ... मैंने कहा ठीक है .. वो अपना बनियान उतर कर बेड पर लेट गया .. मैंने उस वक्त बस नाईटी पहनी थी मैंने ना ही पैंटी ना ब्रा पहनी थी क्यूँ कि मुझे लगा था थोडी ही देर में मेरे बॉस आयेंगे और मुझे सब उतरना पड़ेगा ... मैं उसके पेट पे तेल मालिश कर रही थी, उसके नाभि के नीचे बहुत सरे बाल थे जो जैसे जैसे नीचे जाते थे और ज्यादा थे ... मेरे थोड़ी देर मालिश करने पे वो बहुत गरम हो चुका था क्यूँकि उसके पायजामे के ऊपर से उसका तना हुआ लंड दिखाई देने लगा था फ़िर भी मैं चुप चाप मालिश करती रही ... थोडी देर बाद उसने कहा पायजामा थोड़ा नीचे सरका कर थोड़ा नीचे तक मालिश करो न ... मैंने वैसा ही किया ... अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था ... मैं भी सोच रही थी कि कब अपनी प्यास मिटाऊँ अपने सगे भाई के लंड से ... इतने में वो बोल पड़ा हाथ अंदर डाल न ... मैंने कहा कहाँ अंदर .. उसने कहा पायजामे के अंदर .. मैंने मना कर दिया .. . मन तो बहुत कर रहा था मगर वो मेरा भाई था इसलिए मैंने ना कह दिया ... उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती अपने लंड पे ले गया, मैंने एक झटके से उसका हाथ दूर कर दिया ...फ़िर वो बेड से उठ गया और मुझे जकड लिया और बोला सिर्फ़ अपने बॉस से चुदवाओगी .... कब तक तेरे ब्रा और पैंटी से मुठ मारता रहूँगा ... मेरे लंड ने क्या पाप किए हैं?.. मैं ये सब सुन कर दंग रह गई ... उसने कहा मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा .. बस तू वो कर जो मैं कहता हूँ ... ... फ़िर मेरे पास और कोई चारा नहीं था सिवाय उसकी बात मानने के, मैं ने चुप चाप सर हिला कर हाँ कह दी .... उसने कहा- वाह मेरी बहना ! आज तो मजा आ जाएगा .... आज तक बस ब्रा और पैंटी ही मिली थी मुझे तुम्हारी आज तो पूरी की पूरी रूबी मेरे सामने खड़ी है .... फ़िर उसने मुझे उसका पायजामा नीचे करने को कहा, मैंने वैसा ही किया .. वो अंडरवियर नहीं पहना था .. मैं उसके लंड से पहले ही रुक गई .. इसपर वो चिल्ला कर बोला .. साली रुक क्यूँ गई .. तेरे बॉस का लंड बहुत पसंद है तुझे .. मेरा लंड नहीं लेगी क्या .. चल उतर जल्दी से पायजामा मेरा .. फ़िर मैंने उसका पूरा पायजामा उतार दिया अब वो पूरा नंगा लेटा था मुझे उसे देखने में शर्म आ रही थी. .. पर उसका तना हुआ लंड देख कर मैं भी थोडी गरम हो गई थी .. वैसे तो उसका लण्ड मेरे बॉस के लण्ड से कम लंबा और मोटा था ... उसने मुझसे कहा जल्दी से चूसना शुरू करो ना ... फ़िर मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में लिया उसकी जांघों के बीच में बैठ गई और फ़िर उसका लण्ड अपने होठों पे रगड़ने लगी ... अब मैंने भी सोच लिया था कि शरमाने से कोई फायदा नहीं है आज मेरा भाई मुझे बिना चोदे मानने वाला नहीं है तो क्यूँ नहीं खुल के चुदवाऊँ इससे ताकि चुदने का भी मजा आए ... मैं उसका लण्ड होठों पे रगड़ रही थी .. फ़िर लोलीपोप की तरह मैं पहले बस उसका सुपाड़ा चूस रही थी ...उसके सुपाड़े से पतली पतली रस निकल रही थी .. मैं उसे लिपस्टिक की तरह होठों पे लगा रही थी। इतने में उसने भी अपने हाथों से मेरी गांड सहलाना शुरू किया ... वो अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों गोलाईयां सहला रहा था ... मुझे इतना मजा नहीं आ रहा था क्यूँकि वो नाईटी के ऊपर से मेरी गांड को सहला रहा था .. मैंने फ़िर उसके बिना कुछ कहे अपनी नाईटी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी थी उसके सामने .. इतने में उसने कहा- साली तूने तो न ब्रा ना पैंटी पहन रखी है.. पूरी तैयारी में थी मुझसे चुदवाने की क्या ... फ़िर मैंने कहा तुझसे नहीं मेरे बॉस आ रहे है ना ! तो ... फ़िर बिना कुछ कहे मैं उसका लण्ड चूसने लगी .. वो मेरे सिर को पकड़ कर जोर जोर से लण्ड में धक्का देने लगा .. एक तरह से वो मेरा मुंह चोदने लगा ... ... मैं बहुत गरम हो चुकी थी ... मेरा मुंह पूरी तरह से चिपचिपा हो गया था उसके पतले रस से..फ़िर थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे स्तनों से खेलने लगा। वो उन्हें जोर जोर से दबाने लगा। मुझे दर्द हो रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था। यह सोच कर ज्यादा मज़ा आने लगा कि मेरा सगा भाई मुझे चोदने वाला है.. वाऽऽऽ ! अब भाई मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी चूसने लगा। वो मेरे चूचकों को जोर से काटने लगा.. दर्द से मैं कराहने लगी, बीच बीच में मैं चिल्ला भी पड़ती थी मगर उसे कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था। उसने तो आज अपनी बहन की चूत फ़ाड़ने का सोच ही लिया था .....वो मेरे निप्पल चबाने लगा, मैं मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह.. मेरे मुंह से गंदे शब्द जो कि मैं मदहोश होने के बाद बोलती हूं अपने बॉस के साथ .. निकलने लगे भाई के भी सामने !... मैंने कहना शुरू किया .. आह अब चोदो ना राहुल ... चोद दो मुझे .. अपनी बहन की प्यास बुझाओ .. चोदो .. फाड़ डालो मेरी चूत ... फ़िर वो धीरे धीरे नीचे गया .. और मेरी चूत चाटने लगा उसकी ये अदा मुझे बहुत पसंद आई क्यूँकि मेरे बॉस ने अपना लण्ड मुझसे बहुत बार चुसवाया था मगर मेरी चूत चाटने से मना करते थे .. वो बिल्कुल कुत्ते कि तरह पूरी जीभ बाहर निकाल कर मेरी चूत चाटने लगा .. वो जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा .. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था ... मैंने कहा प्लीज़ राहुल मुझे अब लण्ड चाहिए तुम्हारा ... अपना लण्ड डालो मेरी बुर में .. उसने कहा बुर तो तेरी मैं जरुर चोदूंगा पहले बाकि सब का भी तो मजा ले लूँ .. फ़िर उसने मुझे पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया .. अब उसके सामने मेरी गांड थी.. वो मेरी दोनों चूतडों को मसल रहा था और मैं इतनी उत्तेजित थी कि अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाले जा रही थी ....फ़िर उसने मेरे चूतडों को चाटना शुरू किया ... कसम से मैंने बहुत बार चुदवाया बहुत बार ! हाय ! मगर इतना मजा मुझे पहली बार आ रहा था वो भी मेरे भाई से ... मैं आह आह आ औच ... की आवाजें निकाले जा रही थी .. वो पूरा मस्त होकर मेरी गांड चाटता जा रहा था ... फ़िर उसने मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाली .. मैं चिहुंक उठी .. मैंने कहा क्या कर रहे हो राहुल ... गांड मरोगे क्या मेरी ? ! ? !... उसने कहा - रूबी ! आज तो तेरे शरीर के हर छेद में अपना लण्ड डालूँगा मैं ... तुझे चोद चोद के निढाल कर दूंगा .... मैं खुशी से पागल हो रही थी ... फ़िर थोडी देर बाद उसने मुझे उठाया और अपनी जाँघों पर बैठा दिया वो लेता हुआ था मैं उसकी जाँघों पर बैठी थी वो मेरे बूब्स दबा रहा था .. फ़िर उसने कहा - अब मेरा लण्ड पकड़ कर ख़ुद अपनी बुर में डालो .. मैंने वैसा ही किया ... मेरी बुर से बहुत पानी निकल चुका था इस वजह से मेरी बुर पूरी गीली थी और उसका लण्ड भी ... मैंने उसका सुपाड़ा अपनी बुर पे रखा और फ़िर धीरे धीरे उसपे बैठ गई जिससे की उसका पूरा लण्ड मेरी बुर में घुस गया .. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था .. फ़िर मैं ख़ुद ऊपर नीचे करने लगी .. मुझे ऐसा लग रहा था की राहुल मुझे नहीं मैं राहुल को चोद रही हूँ ... मैंने हिलना तेज किया ... वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल उछाल कर मुझे चोद रहा था. थोडी देर तक इस पोसिशन में चोदने के बाद उसने कहा - अब तुम नीचे आओ ... मैं बेड पे लेट गई .. वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पे रख दिया इससे मेरी बुर उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी.. ...फ़िर उसने मेरी बुर पे अपना लण्ड लगाया और एक ही झटके में जोर से पूरा अंदर डाल दिया ... मैं लगातार सीत्कार कर रही थी आह ..ऊंह ह्ह्ह ह .ओह ह हह कम ऑन राहुल ... फक मी ... चोदो ... आह ह हह ह्ह्ह .. और जोर से चोदो ... अ आ आया अह हह हह ..... उसकी स्पीड बढती जा रही थी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मेरी बुर से सर सर करता हुआ सारा पानी बाहर आ गया .... राहुल रुकने का नाम नहीं ले रहा था ... मेरी बुर के पानी की वजह से उसके हर धक्के से कमरे में फत्च फच की आवाज़ आने लगी .. वो मेरी बुर पेलता ही जा रहा था ... मैं भी उसका साथ दे रही थी .. मैं उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर धक्के लगा रही थी अपनी तरफ़. ... फ़िर मैंने उसे कहा - राहुल अपना रस अंदर मत गिराना, नहीं तो तुम मामा और पापा दोनों बन जाओगे इस पे वो हँस पड़ा और अपनी स्पीड और बढ़ा दी .... अब वो गिरने वाला था ... वो मेरी बुर, जो कि चुदा चुदा कर पूरी भोंसड़ा बन गई थी, उससे लंड बाहर निकाला और मुझसे कहा कि अपने दोनों बूब्स को साइड से दबा कर रखने को। फ़िर मेरे दोनों बूब्स के बीच उसने अपना लंड डाल कर मेरी पेलाई शुरू कर दी थोडी देर ऐसे ही वो मुझे पेलता रहा उसके बाद उसके लंड से फच फचा कर सारा रस निकल गया जो कि मेरे पूरे मुंह में और चूचियों पे गिरा... मैं अपनी जीभ से और होठों से उसका रस चाट रही थी ....... फ़िर उसने अपना लंड ही मेरे मुंह में दे दिया मैंने उसका लंड थोड़ी देर चूसा ... मुझे ऐसा लगने लगा कि वो फ़िर से उत्तेजित हो रहा है ... क्यूंकि वो मुंह के ही अंदर धक्के लगाने लगा ... राहुल से चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आया। इतने में दरवाजे की घंटी बजी .. टिंग टोंग !.... वो उठ गया मैं भी उठ गई वो बोला मैं देख कर आता हूँ .. उसने बिना दरवाजा खोले आई-होल से देखा तो मेरे बॉस बाहर खड़े थे ... वो समझ गया की ये भी यहाँ रूबी को पेलने आए हैं ... फ़िर उसने आकर मुझ से कहा- तेरे बॉस हैं मैं अभी भी नंगी लेटी थी अपने बिस्तर पर। अपने हाथों से राहुल का वीर्य अपने स्तनों पर मल रही थी।
मैंने राहुल को बोला- तू प्लीज़ ! थोड़ी देर के लिए रसोई में चला जा !
फ़िर मैंने तौलिया लपेट कर दरवाज़ा खोला। मेरा कमीना बॉस मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था।
उसने अन्दर घुसते ही मुझे गोद में उठा लिया और कहा- आज बहुत चुदवाने का मन है ना तुझे, बहुत तड़पाया है मुझे तूने ... .. तुझे चोदने के बाद तो मुझे किसी और को चोदने में मजा ही नहीं आता ... ..
मैंने फ़िर अपना नाटक दिखाना शुरू किया .. क्यूँकि मेरी चूत की प्यास मेरे भाई ने बुझा दी थी ...
मैंने कहा- नहीं ! मुझे नहीं चुदवाना ...
उसने मुझे बेड पे पटक दिया और मेरे ऊपर लेट गया मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया ताकि मैं हिल ना सकूँ और फ़िर मुझे किस करने लगा ... .
वो मेरी जीभ को चूसता जा रहा था ...
फ़िर थोड़ी देर बाद कहा- साली क्यूँ नहीं चुदवाएगी अब मुझसे ... .
मैंने नाटक करते हुए कहा- आज कल आप मेरे वेतन बढ़ाने पे ध्यान नहीं दे रहे हैं ... .
वो समझ गया .. उसने फ़िर बताना शुरू किया कि आज कल बहुत कुछ बदल गया है ऊपर के प्रबंधन में ... मैं भेजता हूँ तो फ़िर मेरे बॉस फैसला करते हैं कि कितनी वृद्धि देनी है ... ..
फ़िर मैंने कहा- तो फ़िर मैं तुम्हें क्यूँ दूँ अपनी चूत ! तुम्हारे बॉस को ना दूँ ... .?
फ़िर उसने कहा- ठीक है उसे भी देना, मगर मैंने कितना कुछ किया तुम्हारे लिए ..
मैंने कहा- जब किया तब मुझे जम कर पेला भी तुमने ... मुझे याद है तू हर दूसरे दिन मुझे चोदता था ... . कभी कभी तो मेरे मासिक के बावजूद ... .. अभी मुझे क्या मिलेगा तुमसे चुदवा कर ...
फ़िर इस पे उसने कहा- रूबी माय डार्लिंग ! तुम्हें जितने की वृद्धि चाहिए उतनी तुम मेरे वेतन से ले लेना बाबा ! ... आगे मुझे कभी ऐसा मत कहना ... अगर मुझे तुम्हारी चूत नहीं मिली तो मैं पागल हो जाऊंगा ... !
फ़िर मैंने सोचा- चलो अब तो मैं बहुत कुछ ले सकती हूँ इससे ..
फ़िर उसके बालों को पकड़ कर मैंने अपने मुंह की तरफ़ खींचा और चूसने लगी उसके होठों को ..
वो समझ गया कि मैं मान गई हूँ ... . उसने तुंरत खड़ा होकर मेरा तौलिया खींच दिया।
मैं पूरी नंगी लेटी थी बेड पर ...
फ़िर वो जल्दी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा खड़ा हो गया मेरे सामने ... .. फ़िर अपने लंड की तरफ़ इशारा किया।
मैंने भी बेड से उठ कर उसका लंड अपने हाथों में लिया और हिलाने लगी। फ़िर मैं झुक कर उसके लंड को अपने होठों पे रगड़ने लगी, फ़िर उसके सुपाड़े को अपने जीभ से चाटने लगी।
वो सीत्कार कर रहा था और मेरे बालों को सहला रहा था . ... ..
मेरा एक हाथ उसके लण्ड पे था दूसरे से मैं उसकी गांड को सहला रही थी ... वो पूरी तरह मस्त हो चुका था ...
फ़िर मैंने उसका चूसना शुरू किया ... ... .म्म्म्म्म्म्म म्च उम्म्म्मा मैं चूसती चली गई ... . मैं उसका लंड हिला हिला कर चूस रही थी ...
इतने में मैंने देखा .. मेरा भाई मेरे बेडरूम के दरवाजे पे नंगा खड़ा है और मुझे देख रहा है ... .. मेरे बॉस दरवाजे की तरफ़ पीठ करके खड़े थे, इसलिए उन्हें कुछ दिख नहीं रहा था।
मैंने राहुल को इशारा किया नहीं आने का, मगर वो नहीं माना और अंदर आ गया। मैं रुक गई, फ़िर मेरा बॉस उसे नंगा देख कर दंग रह गया ...
मैंने फ़िर बॉस को कहा कोई बात नहीं .. और वापस उसका लंड हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए चूसने लगी। मैं जमीन पे घुटनों के बल झुकी थी और बॉस का लंड चूस रही थी ...
इतने में राहुल ने मेरी चूत मसलनी शुरू की ... .
हम सब चुपचाप अपने अपने काम में मस्त थे ... .फ़िर वो झुक कर मेरी चूत चाटने लगा ... ..वो एक साथ तीन तीन उँगलियाँ मेरी चूत में डालता और फ़िर चाटता रहता ...
मैं भी तेजी से बॉस के लंड को चूस रही थी ... . राहुल ने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था।
अब मेरी बुर तरस रही थी चुदाने के लिए ... मैं मन ही मन खुश हो रही थी .. की दो दो चुदाई एक साथ होगी आज मेरी ...
फ़िर मेरे बॉस ने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और मुझे बेड पे हाथ रख कर झुका दिया, फ़िर पीछे से मेरी चूत मसलने लगे।
मेरी चूत को राहुल ने पहले बहुत गीला कर दिया था, उससे रस टपक रहा था ... .
मेरे बॉस ने पीछे से ही कुतिया स्टाइल में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया ... .. वो इतनी गीली हो गई थी की लंड सरसराते हुए अंदर चला गया मैं थोड़ी चिंहुक उठी क्यूँ कि मेरे बॉस का लंड बहुत मोटा है।
... ... .आ आ अ आह ह
फ़िर वो धीरे धीरे मुझे पेलने लगा ... .
मेरे दोनों स्तन लटक रहे थे और हर धक्के पे हिल रहे थे ...
मैं सिसकार रही थी ... ... ... उन्ह हह ह अ आ अह अ आ आ आह मम ममी ... ... ... अह हह हह
फ़िर राहुल मेरे सामने से आकर बेड पे घुटने के बल खड़ा हो गया और अपने लंड को मेरे मुंह में डाल दिया ... .
मैं उसका लंड चूसने लगी .. अब एक साथ दो दो मेरी चुदाई कर रहे थे, मुझे बहुत मजा आ रहा था ... ...
मेरे बॉस ने अपनी स्पीड बढ़ाई ... ... ..कमरे में थप थप की आवाज आने लगी, वो मेरे पीछे से मेरी बुर पेल रहा था ... ... ..
उसके हर धक्के से राहुल का लंड और अंदर चला जाता था मेरे मुंह में ... ... ... ...
फ़िर थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद उसने अपना लंड मेरी बुर से बाहर निकाला और मुझे बेड पे लिटा कर मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी दोनों टांगों को थोड़ा ऊपर उठा कर मेरे दोनों हाथों से पकड़ने को कहा।
मैंने ऐसे ही किया ... .
फ़िर उसने सामने से मेरी बुर में अपना लंड डाल दिया ... ... वो चोदने लगा।
मैं मस्त हो गई ... ... ओह हह ह्ह्ह आ अ आ आह आ ओह ह्ह्ह .. चोद ... ... .. आ जा चोद दे ... ... आ आह
मेरे मुंह से ख़ुद ब ख़ुद ये सब आवाजें निकलने लगी।
फ़िर मैंने एक हाथ से राहुल का लंड पकड़ा और हिलाने लगी ... ... ... ...
वो मेरे स्तन दबा रहा था ... ... ... ... . अ आ आह ... ... मेरा बॉस मुझे चोदे जा रहा था ... ... उसकी स्पीड बढ़ गई।
मेरी बुर से पूरा रस निकल चुका था ... ... ... . फच फच की आवाज़ आने लगी थी।
अ आ अआः चोदो माँ अआः ... ... ... ... राहुल ... ... ... ... .
मेरा भाई भी मस्त हो गया था ... ..
वो देख रहा था कि कैसे उसकी बहन मस्त होकर चुदवा रही है अपने बॉस से और फ़िर उसका लंड भी हिला रही है।
मेरे बॉस का रस निकलने वाला था ... उसने लंड बाहर निकाल कर उसे मेरे दोनों बूब्स पे गिरा दिया ... ...।
मेरे हाथो में अभी भी राहुल का लंड था ...
वो अभी भी पूरा तना हुआ था और अपनी रूबी दीदी की बुर में जाने को बेताब था ... .. इतने में मेरा बॉस खड़ा होकर अपने कपड़े पहनने लगा ... मैं बेड पे ही लेटी थी ... उसने कपड़े पहन कर कहा- रूबी कल दफ्तर में मिलते हैं जानम ...
और फ़िर राहुल से कहा- ज़म के और जोर से चोदना, साली बहुत गर्म है ... ... वो इतना बोल कर चला गया।
फ़िर राहुल ने मुझे चूमना शुरू किया ... ... वो अपनी दीदी के होठों को चूस रहा था ... उस की जीभ को चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब रहा नहीं जाता ... !
और फ़िर उसने नीचे जाकर मेरी बुर की पेलाई शुरू कर दी ... . मेरे बॉस का वीर्य जो कि मेरे स्तनों पे अभी भी था .. वो उसके ऊपर से मेरे बूब्स को दबा रहा था ... उसके हाथों में भी पूरा रस लग चुका था।
वो मेरे चूचुक मसल रहा था ... ... फिर उसने एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया और चोदने लगा ... ..वो पूरी तरह मेरे ऊपर लेट कर मुझे चोद रहा था ... .
उसकी छाती मेरे दोनों स्तनों को दबा रही थी और वहाँ पे बॉस-रस होने की वजह से चिपक भी रही थी ...
वहाँ से अभी फच फच फच की आवाज आ रही थी ... ... ... .. वो स्पीड से चोदता जा रहा था ... ... ... . फ़िर थोड़ी देर में वो झड़ गया .. मगर इस बार उसने अपना सारा रस मेरे बुर में ही डाल दिया ... ... ..
मैं घबरा गई ... ... मैंने उसे जबरदस्ती उठाया अपने ऊपर से ... लेकिन तब तक मेरी बुर के अंदर मेरे भाई का सारा वीर्य जा चुका था ... .
मैंने उससे कहा- अगर मैं गर्भवती हो गई तो ... ?
फ़िर मैंने उसे कहा- जल्दी से कपड़े पहन कर दवाई की दुकान से आई-पिल लेकर आ ... .
वो आई पिल लेन चला गया और मैंने नहाने चली गई ... ... ... ..
राहुल से चुदवाने का खेल मानो आदत सी हो गई थी ...
आज कल हम घर में कभी भी भाई बहन जैसे नहीं रहते .... हमेशा गन्दी गन्दी बातें करते ....साथ नहाते .....
अब राहुल ने मुझे अपने बॉस से चुदवाने के लिए मन भी लिया था ...
उसने एक योजना बनाई थी, जिसमें वो अपने बॉस को हमारे घर पे बुलाएगा और मैं उसे आकर्षित करुँगी अपनी ओर, फ़िर चुदवाने के बाद उससे राहुल की प्रोन्नति की मांग करुँगी .....
मैंने उसकी बात बहुत मनाने के बाद मान ली ......
योजनानुसार उसने अपने बॉस को शनिवार को घर पे बुलाया ये बात तय हुई कि आज मेरी बहन का जन्मदिन है ..... उसने मुझे पहले से ही बता रखा था ... की आज मुझे मिनी स्कर्ट और घर गले वाला टॉप पहनना है .... जिससे कि मैं उसे अपनी ओर आकर्षित कर सकूँ ....
शनिवार को, योजना के अनुसार, वो अपने बॉस को लेकर आया ... मैंने दरवाजा खोला .. फ़िर उन्हें अंदर बुला कर सोफे पे बैठने को कहा ... उसके बॉस का नाम हर्ष था
उन्होंने मुझे जन्मदिन की बधाई दी फ़िर कहा - तुम बहुत सुंदर और प्यारी लग रही हो....
... मैंने थैंक्स कहते हुए शरमाने का नाटक किया ...
फ़िर हम सोफे पर बैठ गए ..थोड़ी देर इधर उधर की बातें की ..
बीच बीच में मैं जब भी हर्ष को देखती थी उसकी नजर मेरी नंगी जांघों पे ही होती थी ...
मैं जान बूझ कर कभी कभी टांगों को फैला कर उसे अपनी पैंटी भी दिखा रही थी .... झुक झुक कर उसे अपने दूधिया स्तन दिखा रही थी ....
फ़िर मैंने ध्यान दिया- थोड़ी देर में ही उसका लण्ड मानो तन कर खड़ा हो गया था ... वो उसकी पैंट फाड़ कर बाहर निकलने को मचल रहा था .....
इसी बीच राहुल ने मुझसे कहा- दीदी आप इनके लिए चाय बनाओ तब तक मैं बाहर से कुछ लेकर आता हूँ ....
मैंने कहा- ठीक है ...
वो बाहर चला गया ...
मैं सोफे पे ही बैठी थी ...
थोड़ी देर बाद हर्ष मेरे सामने आकर बैठ गया और बातों बातों में एक दो गंदे वाले चुटकले सुनाने लगा ...
फ़िर उसने मेरी जाँघों पे हाथ रख दिया और मेरी तरफ़ देखा ...
मैं मुस्कुराने लगी और वहाँ से उठ कर बोली- मैं चाय बना कर लाती हूँ .......फ़िर मैं रसोई में चली गई मैं समझ गई की लण्ड तैयार है मेरी बुर फाड़ने के लिए ....... मैं लाइटर से गैस जला रही थी तभी वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया .... और फ़िर मेरे कन्धों पे अपने हाथ रख दिए .... मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपना काम कर ती रही थी .... फ़िर वो मेरी तारीफ करने लगा ... वही घिसी पिटी... तुम बहुत सेक्सी हो...वगैरह वगैरह।
मैंने भी धीमी आवाज़ में नाटक करते हुए कहा- आप भी बहुत स्मार्ट और बलवान हो .....
फ़िर क्या था, उसने अपने दोनों हाथों से मुझे पीछे से जकड़ लिया .... और मैं चुपचाप खड़ी रही... फ़िर उसने मेरे दोनों स्तन मसलने शुरू किए ... मैं अपनी गाण्ड पे कपड़ों के ऊपर से ही उसके लण्ड को महसूस कर रही थी।
......मैं सीत्कार करने लगी ........ ऊंह ह आ अ आह ह्हम्म
फ़िर उसने अपने दोनों हाथों को मेरे स्कर्ट के अन्दर डाल कर मेरी गाण्ड को मसलना शुरू कर दिया .... फ़िर एक हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसने मेरी बुर को टटोलना शुरू किया .... उसके हाथ मेरी बुर को रगड़ रहे थे.... फ़िर उसने दो उंगलियाँ एक साथ मेरी बुर में डाल दिए और मुझे उंगलियों से चोदने लगा ... मैं सिसकारने लगी थी ............ आह ह्म्म मा आ आ अ अह
इसी बीच उसने अपनी पैन्ट और अन्डरवीयर उतार दिया। .. अब वो नीचे से बिल्कुल नंगा खड़ा था .... मैं अभी भी उसकी तरफ़ मुड़ी नहीं थी ....फ़िर उसने मेरी स्कर्ट को ऊपर सरकाया और मेरी पैन्टी को नीचे खींचने लगा ... और मेरी पैन्टी उतार दी। फ़िर मेरे नंगे चूतड़ों को चूमने लगा ... वो चाटने लगा मेरी गाण्ड को ... फ़िर अचानक से मैंने अपनी बुर में उसकी जीभ को महसूस किया। मैंने नीचे देखा वो मेरी बुर चाट रहा था .... अभी भी मैं रसोई में झुक कर खड़ी थी .... वो मेरी बुर में ऊँगली डाल डाल कर चाटे जा रहा था ....मैं बस मम मम अह हह हह उन्ह हह कर रही थी .....
फ़िर वो खड़ा हो गया और अपना लण्ड मेरी चूत पे रख दिया ... मैं सूखा सुपाडा महसूस कर रही थी अपनी बुर में ....
पहली बार मैं रसोई में कपड़े पहन कर इस स्टाइल में चुदवाने जा रही थी ..... मुझे नहीं पता था कि मैं राहुल के बॉस के साथ ऐसे चुदवाउंगी .... फ़िर उसने हल्का सा धक्का लगाया ..... मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मैं चिल्लाई ... आ आ अ आह ह्ह ....
मैं चुदवा-चुदवा कर अपनी बुर फड़वा चुकी हूँ फ़िर भी इस बार मुझे दर्द हुआ ... असल में उसका लण्ड बहुत मोटा था ... मेरे बॉस के लण्ड से भी ज्यादा मोटा था उसका लण्ड ....
मैं बहुत खुश हुई कि आज चुदाने का मजा आ जाएगा ... फ़िर मैंने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी ताकि आराम से लण्ड अंदर जा सके ....उसने फ़िर से एक बार धक्का लगाया मगर उसका लण्ड इस बार मेरी बुर से फिसल कर बाहर निकल गया ..........
फ़िर मैने उनसे कहा- बेड रूम में चलते हैं !
इसपे उसने कहा- नहीं जल्दी से करना है ! नहीं तो राहुल आ जाएगा ... उसे पता नहीं था कि मैं जब तक राहुल को फोन नहीं करुँगी वो वापस नहीं आएगा .....
फ़िर मैंने उनसे कहा- थोड़ी देर रूक जाओ, मुझे बाथरूम जाना है ... मुझे कस कर सू सू लग गई थी . ...
इस पर वो बोला- नहीं ! यहीं कर दो ...!!
मैंने कहा- नहीं रसोई गन्दी हो जायेगी ... !
फ़िर उसने कहा- मगर मुझे टेस्ट करना है कि इतनी कमसिन लड़की का मूत कैसा लगता है !!.... फ़िर से वो झुक कर मेरी चूत चाटने लगा ...
वो बोला- प्लीज़ मूतो न...... !!
मैं यह सुन कर बहुत उत्तेजित हो गई कि कोई मेरा मूत चाटने वाला है .....मगर मैं चुदवाने के लिए इस कदर उत्तेजित हो चुकी थी कि मूत बाहर आने का नाम ही नहीं ले रहा था ...
मेरी बुर से रस निकल रहा था और हर्ष उसे चाटे जा रहा था .. फ़िर मैंने थोड़ा जोर लगा कर थोड़ा सा मूता ....
मैंने झुक कर देखा हर्ष ... उसे मुंह में लेकर पी गया .... और फ़िर से चाटने लगा मेरी चूत को ....
फ़िर मैंने उससे कहा- जल्दी चोदो न !प्लीज़ .... !! अब कंट्रोल नहीं होता ... !!!
फ़िर क्या था ... उसने अपना लण्ड मेरी बुर में डालना शुरू किया। इस बार मैंने उसकी मदद की, मैंने अपने हाथों से उसका लण्ड अपनी बुर में रखा और कहा- अब धीरे धीरे धक्का लगाओ ...
उसने वैसा ही किया ... फ़िर थोड़ी देर में उसका पूरा लण्ड मेरी बुर के अंदर था ............ फ़िर उसने मुझे धीरे धीरे चोदना शुरू किया ....मैं सीत्कार कर रही थी ............ममऽऽ म अ आऽऽ अह हर्ष ... कॉम ओं ............... चोऽऽद मुझे ............अ आऽऽ आ आह .... चोदो मुझे .............अआआ
उसकी स्पीड तेज हो गई थी . ... पूरी रसोई में थप थप की आवाज़ आ रही थी ....उसकी जांघे मेरी गांड पे टकरा रही थी .......... मैं निढाल हो कर चुदवा रही थी .......... अ आ आः .............मम् मम् ............चोदो ............ आआः ..........फाड़ डालो मेरी बुर को ...........
वो मुझे चोदता रहा ...... अ आ आया अहह थप थप थप
वो धक्के और तेज कर रहा था ........... अ आ आयऽऽ आआ
मेरी बुर दो बार झड़ गई थी ............... उससे रस बाहर निकल गया था ... मगर हर्ष मुझे चोदे जा रहा था ..............
थोड़ी देर बाद जब वो झड़ने वाला था तब उसने अपना लण्ड बाहर निकला और मुझे पलट कर नीचे बैठा कर मेरे मुंह में लण्ड डाल दिया। उसका मोटा लण्ड पूरी तरह से मेरे मुंह में घुस नहीं रहा था फ़िर भी मैं उसके लण्ड को हाथों से पकड़ कर हिला हिला कर मुंह में ले रही थी।
इतने में उसने मेरा सर पकड़ कर कस के अपने लण्ड पे दबा दिया ...उसका पूरा लण्ड मेरे मुंह के अंदर था .... मेरी मानो साँस रुक गई हो ....और फ़िर उसने सर दबाये रखा और अंदर ही मेरे मुंह में अपना सारा वीर्य डाल दिया .... उसके लण्ड से मेरा मुंह भरा हुआ था उसका सारा स्पर्म अपने आप ही मेरे पेट में चला गया ......
फ़िर उसने मेरे सर को ढीला छोड़ा और मैं फ़िर उसके लण्ड को चूसने लगी ........मैंने पहली बार किसी का स्पर्म पिया था ... मुझे ऐसे चुदवाने में बहुत मजा आया ..........
फ़िर उसने जल्दी से कपड़े पहने और कहा- जल्दी से तैयार हो जाओ ... राहुल आने वाला होगा ... फ़िर हम वापस तैयार हो कर सोफे पे बैठ गए .... मैंने इसी बीच उससे राहुल की प्रोन्नति की भी बात की .....
अगले महीने में ही राहुल की तरक्की हो गई .......


आपकी रूबीrubysinghruby8@yahoo.in