Monday, November 9, 2009

मेरी प्यारी निशा दीदी

मुझे कहानी लिखने का बहुत शोख है में ने बहुत सारी कहानी लिखी है वे सभी काल्पनिक है इन में से एक कहानी आपके सामने पेश करता हूँ मेरा नाम यश है में अपने कमरे में लेटा अपने विचारो में खोया हुआ था की अचानक मुझे निशा (मेरी दीदी - पेशे से डॉक्टर) की आवाज सुनाई दी वो अनु (मेरी छोटी बहन) को आवाज दे रही थी घर में मेरे अलावा और कोई नहीं था इस लिए में उनके कमरे में चला गया निशा नहा कर बाथरूम से निकली थी और उसने रेड कलर का तोलिये को अपने नायब जिस्म पर बांधे अपने अनमोल खजाने को छिपाने की नाकामयाब कोशिस कर रही थी एक तो दूधिया रंग और उपर से लाल रंग का तोलिया ऐसा लग रहा था जैसे एक नहीं दो दो सूरज के गोले तोलिये के पीछे छिपे अपनी लाली बिखेर रहे हो और कह रहे हो इन्हें हाथ लगाया तो जल जाओगे, टाँगे इतनी चिकनी की अच्हे अच्हे की नियत फिसल जाए में तो फिर भी २१ साल का जवान लोंडा जिसे अभी तक अपनी जवानी के मजे देने वाली कोई नहीं मिली थी बस आखे सकने का ही काम आता था और ऐसे नजारे को तो देखने का मतलब आप खुद समाज सकते हो निशा ने पुछा अनु कहा है में अपने ख्वाबो की दुनिया से बाहर आया और हदबदाकर हकलाते हुए क क . . . कहा वो बाहर खेलने गयी है आप क्या ढूँढ रही है
अनु ने मेरा कंडीशनर पता नहीं कहा रख दिया है मै निशा को सिर्फ एक नज़र देख के बापस अपने रूम में चला गया. निशा के नंगे कंधे और नंगी टांगे देख कर मेरे अंडर कुछ हुआ था . लकिन मैं चुपचाप कमरे से बaहिर निकल गया था . पीछे से निशा ने फिर आवाज़ दी में वापिस उन के कमरे में गया ओर पुछा की क्या बात है . तुम कब तक जाओ गे ?” वोह मेरे सामने टॉवेल में ही थी में बस 20 मिनेट में निकलनेवाला हूँ तुम रुको मुझे भी साथ ले जाना में ओके कहकर उनके कमरे से निकल गया लेकिन निकलने से पहले उनके नायाब जिस्म को एक बार और गौर से देखा और पुरे सरीर में सनसनी फ़ैल गैयी लेकिन यह बात मुझे परेशान कर रही थी की निशा इस माय एल्डर सिस्टर, कुछ देर बाद निशा एक अच्चा सा सुइट पहन कर आ गयी और हम बीके पैर चले गए में ने निशा को हॉस्पिटल ड्राप किया लेकिन उन का वो मदमस्त जिस्म मेरे जहेन से नहीं निकल रहा था और रह रह कर पेंट में तम्बू बन रहा था
आज से एक दिन के लिए मेरी कंपनी ने मेरी एक दिन पे वीक के हिसाब से आउट डोर ड्यूटी अप्प्रोव कर दी . में ने सोचा के में हर wednesday को लेट ही काम पे जाया करूंगा अगले wednesday में फिर से लेट था. और आज निशा को मालूम था की में आज लेट जाऊँगा निशा सुबह नहा के बाहर निकली ही थी की में उनके कमरे के आगे से गुजर रहा था मुझे देख कर निशा दीदी ने आवाज दी उनकी आवाज सुन कर में उनके कमरे में गया और उस अल्हड जवानी को फीर से टावेल में देख कर मेरा जवान अंगडाई लेने लगा निशा दीदी ने मुझे कह की आज वो मेरे साथ ही हॉस्पिटल जायेगी
मैंने निशा दीदी को कहा की आप तैयार हो जाओ (और खवाबो में किसी दूसरी तरह से दीदी को तैयार करने की गुजारिस करने लगा) इतना कह कर में कमरे से बाहर निकल गया, लेकिन उनको देखने की ख्वाइस दिल में अभी भी थी में अपना सामान ले कर दीदी के रूम में वापस आया तो उस समय वह टॉवेल में बैठी बाल बना रही थी में उनके सामने कुर्सी पैर बैठ गया और उनकी अधनंगी चिकनी टांगो को देखने लगा टॉवेल तो जांघो को भी नहीं धक् पा रहा था में उन्हें बड़ी गौर से घूरने लगा बाल बनाने के बाद वह बाथरूम में गयी और चेंज करके आ गयी फिर में निशा दीदी को ड्राप करके में अपने ऑफिस चला गया, लंच टाइम में मैं एक होटल मैं खाना खा रहा था तो मैंने निशा को किसी लड़के के साथ खाना खाते देखा
मैं ने खामोशी से खाना खाया इतने में निशा दीदी उस लड़के के साथ चली गयी में भी खाना खाते खाते सपनो में जाने क्या क्या सोच गया क्या निशा दीदी इस लड़के के साथ सो चुकी है क्या उसने निशा के सेब जैसे उभारो को दबाया होगा क्या उसने निशा दीदी के साथ सब कुछ कर चूका होगा यही सोचते सोचते मैंने खाना खाया और ऑफिस चला गया इस बात को अब एक हफ्ता हो गया था अगले wednesday में खुद निशा दीदी के kamre में चला गया दीदी naha रही थी
में intjaar करने लगा जब दीदी bath कर बहार nikli तो मैंने pucha आपको hospital जाना है क्या दीदी ने कहा जाना तो है तो mene कहा में आपको drop कर dunga ठीक है में taiyaar हो loon दीदी ने कहा दीदी अभी भी tawel में थी में chair पैर baith कर उनकी nangi गोरी गोरी taange jaangho तक dekhne लगा और dekhne ही chota भाई जो अब था aath inch का हो चूका था salaami देने लगा दीदी मेरे saamne hichkicha yoon नहीं रही थी kyoki में suru से ही दीदी के attach था mene दीदी से baate karni suru कर दी दीदी baal bana रही थी और wo जैसे ही अपने हाथ uper ले जाती ऐसा लगता की दोनों kabootar अभी baahar aa jaayenge में uper niche होते हुए दीदी के दोनों kabutar को dekhta रहा
निशा दीदी मेरी पेंट में उबरे हुए टेंट को देखा और मेरी आँखों को उनके कबूतरों दो देखते हुए देखा लेकिन में तो जैसे सपनो में खोया हुआ था निशा दीदी ने बाल बना कर वाशरूम में जाकर कपरे बदले और मेरे साथ चल दी अगले दिन में जानबूझ कर ऑफिस लेट गया दरअसल में आज भी वही खूबसूरत नजारा देखना चाहता था में निशा दीदी के कमरे में गया तो वो अपने बाल बना रही थी मुझे देख कर वो बोली आज तुम लेट क्यों हो मैंने बहाना बनाया की अब मेरा ऑफिस टाइम बदल गया है अब में रोज आपको हॉस्पिटल छोड़ दूंगा और में ऑफिस में पहले ही फ़ोन करके अपने बीमार होने का बहाना बना चूका था और कहा चूका था की कुछ दिन में लेट आया करूंगा
और में दीदी के सामने बैठ गया दीदी ने कहा चलो अछा है मुझे भी आज कल बस में जाने में बड़ी तकलीफ होती है बस में बहुत भीड़ होती है में समझ गया दीदी को बस की भीड़ में क्या तकलीफ होती है बस में चदते ही पीछे वाले का चुतद पे हाथ फेरना और सोरी बोलना आगे वाले का बस के सीट पकड़ने के बहाने गोल गोल अनारो को मसलना पीछे से निकलने वाली सवारी का गांड के साथ खुद को रगड़ना में यही सोच रहा था की निशा दीदी ने कहा चलो में भोचक्का सा उनको देखता रहा कब वो वाश रूम में जा कर तैयार हो आई में उर्नकी तरफ देखता रहा गया दीदी ने फिर बोला कहा हो मेरे मुँह से निकल गया भीड़ वाली बस में दीदी ने कहा क्या में हकीकत में आया और दीदी को बोला कुछ नहीं चलो और में निशा दीदी से नजरे चुराने लगा दीदी भी सायद समझ गयी थी की में क्या सोच रहा था और ऐसा समझते ही दीदी के दूधीया गालो पैर हाला केसर का सा रंग चढ़ गया मेने भी दीदी से कहा कुछ नहीं दीदी में कह रहा था दी में आपको रोज हॉस्पिटल छोड़ दिया करूंगा अब चलो
फिर तो जैसे मेरा यही रूटीन बन गया अगले दिन भी में दीदी के रूम में गया तो आज वो baatroom से बाहर निकली ही थी मुझे देखते ही वह बोली आओ बैठो मुझे अभी १५-२० मिनुट और लगेंगे मैंने कहा कोई बात नहीं और उनके सामने चेयर दाल कर बेथ गया आज वह हल्के आसमानी रंग के टावेल में एक अप्सरा से कम नहीं लग रही थी निशा दीदी बाल बनाने लगी और में उनके नायब कश्मीरी सबो को उपर निचे होते हुए देखने लगा मन कर रहा था की अभी इनको तोड़ के इनका सारा रस पि जाऊ निशा दीदी ने भी सायद मेरी नजरो को पहचान लिया था लेकिन मुझे पता नहीं लगने दिया अब तो कुछ कर gujarne की इच्छा मेरे दिल में बलवंत होती जा रही थी मेरी साँसे तेज चल रही थी और आंखो में लाल डोरे तैर आये थे निशा दीदी ने मुझे पुचा क्या बात है तेरी तबियत तो  ठीक है ना मेंने कहा हां दीदी आप जल्दी तियार हो जाओ में अभी आता हूँ में जल्दी से उठ कर वाशरूम में गया और अपनी पेंट में से अपने हतियार को बाहर निलकल और हिलाने लगा सामने ही दीदी के निकले हुए अंडर गारमेंट्स पड़े थे
अब यारो में तो कुछ बोलूँगा नहीं पर आप लोग ही बताओ के एक अल्हड मस्त जवानी अभी अभी इस बाथ रूम से बाहर निकली हो तो उसके मदमस्त jism की क्या mahak aa रही होगी मेरी तो haalat ऐसी हो रही थी जैसे में एक waasna के saagar में तैर रहा हूँ या अभी अभी kaamdev ने काम vaan maara हो और इस kaamvan के lagte ही मेरी jindgi का pahla skhalan हो गया ऐसे लगा जैसे में अपने pairo पे नहीं khada रह paaonga जैसे अभी gir jaaonga मेरी ssanse ऐसे चल रही थी जैसे की दुनिया में kewal एक ही ladki bachi हो और में बिना ruke dodte हुए उसके पास जाना chahata हूँ. उसे paana चाहता हूँ उसे haasil करना चाहता हूँ
और मेरे मुह से जोर से निकला आह दीदी जो सायद बहार दीदी ने सुन लिया और उन्होंने आवाज मारी क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं दीदी और हदबदाकर अपने लिंग को पेंट में वापस किया और इस दोरान मेरी पेंट भी आगे से कुछ गीली हो गयी में बाहर आया तो दीदी मुझे गौर से देख रही थी में घबरा गया और उन्होंने मेरी पेंट के गीले हिस्से को भी देखा और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सँभालते हुए कहा की आप तैयार है क्या वो बोली सिर्फ पाच मिनेट तुम बाहर निकलोगे तभी तो में कपडे पहनूंगी और वो बाथरूम में घुस गयी उसके जाते ही मुझे याद आया मैंने अपने वीर्य को तो साफ़ ही नहीं किया था अब क्या होगा वह तो ऐसे ही दिवार पे और जमींन पे गिरा हुआ था में भगवान् से प्राथना करने लगा की हे भगवान् वो दीदी को दिखाई न दे इतने में दीदी कपडे पहन के बाहर आई और मुझे गुस्से से बोली क्या बात है तुम्हारी तबियत खराब है क्या तुमने सारे में कफ गेरा हुआ है और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सोचा दीदी सायद सोच रही है की मुझे खासी आई होगी में भी उनकी बात को आगे बढाते हुए कहा दीदी हा अचानक खासी आ गयी थी दीदी ने कहा तो तुम्हे वो निकलने के लिए कोई जगह नहीं दिखी क्या में दीदी की इस बात पे ध्यान दिए बिना (वो निकलने के लिए ) कहा नहीं दीदी, दीदी ने फिर कहा लगता है तुम्हारा वो निकलने के लिए कुछ न कुछ इंतजाम करना पड़ेगा और दीदी मुस्कुराने लगी इस बार मुझे अहसास हुआ दीदी क्या बोल रही है मैंने कहा चलो चलते है और में उन्हें लेके हॉस्पिटल छोड़ आया
मुझे निशा दीदी को तोवेल में देखते हुए काफी समय हो गया था और निशा दीदी ने भी नोटिस किया था की में रोज रोज उनके कमरे में किसलिए पहुच जाता हूँ और में उनके जिस्म को घूरता हूँ लेकिन निशा दीदी ने मुझे कभी कुछ नहीं कहा और ना ही उन्होंने अपना रूटीन चेंज किया वो नहा के निकलती तो में उनकी नंगी टांगो को घूरने लगता कभी कभी दीदी इतना नजदीक आके खड़ी होती की उनके बदन की महक मेरे पुरे जिस्म को बेकाबू कर देती लेकिन कभी इस से जयादा कुछ करने की हीम्मत मुझ में नहीं हुई एक दिन निशा दीदी मेरे पास बैठी अपने बाल बना रही थी मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया दीदी ने मेरे तरफ गौर से देखा और पूछ की क्या बात है मुझे कुछ समझ में नहीं आया की क्या कहूं

अचानक मेरे मुँह से निकल गया की दीदी में आपको लंच पे ले के जाना चाहता हूँ दीदी बोली नहीं नहीं लंच नहीं डिनर पर चलते है अनु भी साथ चल लेगी नहीं दीदी सिर्फ आप और में और कोई नहीं दीदी अभी भी टावेल में थी और अभी भी मैंने उनका हाथ अपने हाथ में पकडा हुआ था क्यों अनु को साथ ले चलने पे क्या हो जाएगा दीदी ने पुछा दीदी में अनु को फिर कभी ले जाऊँगा प्लीज क्या में अकेला आप के साथ नहीं जा सकता मैंने दीदी के हाथ को दबाते हुए पुछा, हम लोग देर हो रहे है मुझे तैयार होने दो, तो फिर में आपको ठीक १.०० पि ऍम पर लेने आ जाऊँगा दीदी खड़ी हुई और बोली ओके बाबा अब मेरा हाथ छोडो दीदी वाश रूम में गयी और कपडे पहन के आ गयी मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोडा और सीधा अपने ऑफिस चला गया लंच टाइम में में दीदी को लेने हॉस्पिटल पहुच गया
दीदी मेरा ही इंतजार कर रही थी दीदी जब मोटर साईकिल पैर बैठी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पैर रखा मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी जांघ पे रख लिया इस तरह दीदी थोडा और आगे आ गयी और उनके सेब जैसे ठोस बूब्स मेरी पीठ पैर गडगए दीदी ने पुछा आज क्या बात है तुम कुछ बदले बदले लग रहे हो मैंने कहा कुछ भी तो नहीं दीदी वैसे ही आप पर प्यार आ रहा है (चोर की दाढ़ी में तिनका ) हम लोग होटल पहुचे और खाना आर्डर किया खाना खाते समय मैंने अपने हाथ में खाना लेकर दीदी के मुह की और बढाया दीदी ने मुस्कुराते हुए खाया और बोली क्या बात है आज अपनी दीदी पैर बड़ा प्यार आ रहा है में केवल मुस्कुराया और आगे बात करने की हिम्मत मुझ में नहीं हुई हमने खाना खाया और वापस दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया

अगले दिन जब दीदी नहा कर बाहर निकली तो आज उन्होंने मेरा लाया हुआ टावेल लपेटा हुआ था जो की सिर्फ दीदी की गांड को ही ढके हुए था और उपर से अगर दीदी जरा सी भी लापरवाही करती तो सेब के साथ साथ छोटा सा अंगूर का दाना भी दिख जाता मैंने दीदी का हाथ पकडा और अपने पास बिठाते हुए कहा दीदी आज आप बहुत सुंदर लग रही हो और रह रह कर मेरी नजरे दीदी के गोल गोल मुम्मो पैर पहुच जाती दीदी बोली यश क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है इस तरह के सीधे सवाल से में सकपका गया और अपनी नजर नीची कर ली दीदी मेरे सामने खड़ी हुई उनका हाथ अभी भी मेरे हाथ में था दीदी बोली बोल ना शर्मा क्यों रहा है मैंने जैसे ही बोलने के लिए अपना मुह उपर किया उनकी चिकनी जांघे मेरे एकदम सामने थे और टावेल सामने से बंधा होने की वजह से नीचे से थोडा खुला हुआ था उस खुले हिस्से को मैंने गोर से देखा तो हल्का हल्का कुछ गहरा काले रंग का दिख रहा था सायद बाल थे तो क्या दीदी ने चड्डी नहीं पहने हुई थी इतना सोचते ही मेरा चेहरा तपने लगा जैसे किसी आग की भट्टी के सामने खडा हूँ दीदी ने मेरी नजरो की और देखा और अपने टावेल को ढीक करते हुए बोली ठीक है रहने दे में तो तेरी कुछ लगती थोड़े ही हु जो तू मुझे बतायेगा और वाशरूम में कपडे पहनने चली गयी उनके जाने के बाद मेरी थोडी हिम्मत हुई और कहा दीदी ऐसे क्यों बोलती हो आप के सिवाय तो मेरा कोई भी नहीं है ना दोस्त और ना गर्ल, गर्ल बोलते ही मैं रुक गया दीदी बोली क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है मैंने कहा पहले थी कॉलेज में लेकिन अब उसकी शादी हो चुकी है
दीदी तैयार होकर बाहर निकली आज वो बाला की खूबसूरत लग रही थी मानो जैसे आज मेरे लिए ही सजी हो निशा दीदी बाहर आ कर बोली यश क्या तुम ऑफिस से आते समय मुझे हॉस्पिटल से ले लोगे मुझे बाज़ार से कुछ सामान खरीदना है मैंने कहा नो प्रॉब्लम दीदी बन्दा आपकी सेवा में हाजिर हो जाएगा और मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया. शाम को दीदी ने घर का जरूरी सामान ख़रीदा और बाईक पैर बैठ कर बोली चलो थोडी दूर जाकर दीदी ने कहा एक बार रोको मैंने बाईक एक दूकान के आगे रोक दी दीदी कुछ असमंजस में थी फिर बोली रहने दो कोई नहीं चलो गोल गप्पे खाते है मैंने दूकान की और देखा वह एक लोंजरी शॉप थी और मुझे सुबह वाली बात याद आ गयी दीदी के घुंगराले बालो का दर्शन और मेरा लोडा अंगडाई लेने लगा सायद दीदी को चड्डी लेनी थी लेकिन वो मेरी झिझक के मारे ले नहीं पायी मैंने बाईक ले जाकर एक गोलगप्पे वाले की दूकान के आगे रोक दी वह काफी भीड़ थी दीदी बोली चलो थोडी देर टहलते है इतने में भीड़ भी छट जायेगी और हम पास में ही टहलने लगे इसी बीच दीदी ने फिर से वही गर्लफ्रेंड वाली बात छेड़ दी दीदी बोली अच्छा एक बात बताओ तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारे साथ कितनी घुली मीली हुई थी मैंने कहा दीदी हम बहुत देर आपस में बात करते थे और एक दुसरे से कुछ भी बात नहीं छुपाते थे इस पर दीदी बोली बुद्धू मेरा मतलब है की क्या तुमने उसके साथ कुछ किया था
में दीदी की बात को समझ तो गया था की को पूछना चाह रही है की मैंने उसकी चुदाई की थी की नहीं लेकिन में अनजान बनते हुए कहा दीदी हम तो रोज़ साथ में ही होमवर्क किया करते थे और दीदी यह सुनते ही जोर जोर से हसने लगी इस समय हस्ते हुए वह ऐसे लग रही थी जैसे मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा आई हो खुसी से उनकी आँखे चमक उठी और चेहरा फूल सा खिल गया मैं कुछ देर उन्हें देखता रहा फिर बोला दीदी आप हस क्यों रही हो दीदी बोली भैया तुम बहुत भोले हो मैं मन ही मन सोचा की दीदी एक बार निचे आ जाओ फिर बताता हूँ मैं कितना भोला हूँ, पूरी रात अगर रगड़ रगड़ के नहीं चोदा तो मेरा नाम भी यश नहीं और जो तुम रोज अपनी गांड छोटे से तोलिये में मुझे दिखाती फिरती हो उसको तो अब भगवन भी मेरे लोडे से नहीं बचा सकता में सोच रहा था की सायद दीदी भी वही चाह रही है जो में दीदी से चाहता हूँ लेकिन नारी को तो अछे अछे ऋषि भी नहीं समझ पाए में तो कुछ भी नहीं था इस बात का पता तो मुझे बाद में चला की दीदी बार बार मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड के बारे में क्यों पूछ रही थी और मैं समझ रहा था की मेरा चांस लगने वाला है
दीदी और मैंने गोलगप्पे खाए और फिर घर आ गए दीदी को घर पैर छोड़ कर में वापस बाज़ार गया और उनके लिए सुंदर से पारदर्शी चड्डी और ब्रा खरीद कर घर वापस लाया अब आप लोग सोचोगे की मेरी दीदी का साइज़ मुझे कैसे पता लगा तो भाई लोगो जिस दिन में बाथरूम में घुसा था और पहली बार दीदी के ब्रा और पेंटी को देख कर झडा था तभी मैं उनका साइज़ देख लिया था वो साइज़ क्या है वो में आप लोगो को बता तो दु लेकिन फिर कुछ को अच्हा लगेगा और कुछ को बड़ा या छोटा तो आप लोगो को जो अच्छा लगे वो ही साइज़ मान लो इस से सब की फंतासी बनी रहेगी अगले दी जब दीदी बाथरूम में थी तो मैंने वह ब्रा और पेंटी दीदी के रूम में रखने गया और जैसे ही रखने लगा बाथरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज हुई और में जल्दी से बाहर की और भागा पर हाय रे मेरी किस्मत बाहर निकलते ही साइड में एक टेबल रक्खी थी और उसमे एक कील निकली हुई थी जो सीधे मेरे लोड़े से करीब छ इंच नीचे मेरी जांघ में घूस गयी और जल्दी में में जब आगे हुआ तो मेरी जांघ को चीरती हुई निकल गई और अचानक से खून निकलने लगा में भागता हुआ अपने रूम में पंहुचा और एक कपडे से खून को बहने से रोकने लगा.

इधर दीदी जब बाहर निकली तो मेरे द्वारा लाये हुए अंडर गारमेंट्स को देखा और फनफनाती हुई मेरे रूम में पहुची में उन्हें देखते ही डर गया वो इस समय ऐसे लग रही थी जैसे की मुझे आँखों से ही भस्म कर देगी लेकिन जैसे ही उन्होंने मेरी जांघ को खून से लटपट देखा तो उनका सारा गुस्सा काफूर हो गया और दौड़ती हुए मेरे पास औई और बोली हे राम ये क्या हुआ में कुछ नहीं बोला वो जल्दी से भागती हुई ड्रेसिंग का सामान लेती हुई आई खून तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था वो बोली जल्दी से अपना पजामा उतारो में नॉर्मली घर में कुरता पजामा पहनता हूँ दीदी ने फिर से मेरा पजामा उतरने के लिए बोला तो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी को फिर चड्डी ब्रा वाली बात याद आ गयी और उनका चेहरा फिर से गुस्से में लाल हो गया और बोली चुपचाप अपना पजामा उतारो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी बोली खून बहुत निकल रहा है मुझे ड्रेसिंग करने दो में बोला क्या होगा ज्यादा से ज्यादा मर ही तो जाऊँगा वो तो में वैसे भी अगर आप मुझ से बात नहीं करोगी तो में मर जाऊँगा यह बात सुनकर दीदी की आँखे भर आई और मुझे उनकी आँखों में एक साथ प्यार और अपनापन नजर आ रहा था फिर दीदी बोली मेरे भाई में तुझ से नाराज नहीं हूँ अब तो पट्टी बंध्वाले लेकिन में अभी भी अपना पजामा उतारने को तैयार नहीं हुआ तो दीदी बोली भैया तेरी कसम में तुझ से नाराज नहीं हूँ पट्टी बंध्वाले खून बहुत निकल रहा है लेकिन में दीदी को यह बताने में शर्मा रहा था की मैंने पजामे के निचे चड्डी नहीं पहनी हुई है मेरी और से कोई प्रतिक्रिया न होता देख दीदी ने मुझे धक्का दिया और बेड पर लिटा दिया और मेरे पजामे को खोलने लगी में बोला दीदी प्लीज उपर से ही बाँध दो तो वो बोली पागल बिना जख्म देखे कैसे पट्टी बंद दूं और दीदी पजामे का नाडा खोलने लगी में बोला दीदी मैंने चड्डी नहीं पहनी हुई है दीदी एकबार तो रुकी फिर बोली क्यों नहीं पहनी है तो में बोला में चड्डी नहीं पहनता हूँ और ऐसे बोलते ही मेरे लैंड में तनाव आने लगा दीदी बोली ठीक है तू कुरता नीचे कर लेना और मेरा नाडा खोलने लगी और पजामे को खीच कर निचे कर दिया निचे करते ही मेरे मुह से जोर की चीख निकली जखम बहुत गहरा था और मॉस बहार आ रहा था दीदी जो की डॉक्टर थी एक बार तो वो भी देख कर हिल गयी फिर हिम्मत करके मेरी ड्रेसिंग करने लगी मेरी अंको के आगे अँधेरा सा छाने लगा था पता नहीं दर्द के मारे था या खून ज्यादा निकल जाने के कारण
थोडी देर बाद मेरा सर एकदम से भारी सा हो रहा था और मुझसे हिला भी नहीं जा रहा था मुझे हरकत करते देख दीदी भागी हुई आई और बोली लेटे रहो तुम बेहोश हो गए थे तुम्हे दर्द बहुत हो रहा था में ऐसे ही लेता रहा और दीदी को देखता रहा में बोला अब तो मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब में उठ सकता हूँ तो दीदी बोली नहीं मैंने तुम्हे पैन किल्लर दिया हुआ है और खून बहुत निकलने की वजह से कमजोरी भी बहुत है अचानक मुझे पेसाब करने की इच्छा हुई और मेरे लैंड महाराज सर उठाने लगे जब मैंने नीचे देखा तो मेरा पजामा निकला हुआ था और में केवल कुरते में था अचानक कुरते में टेंट सा बन गया जो सायद दीदी ने भी देख लिया था दीदी मेरे पैरो की और खड़ी थी और टेंट बनने की वजह से कुरता थोडा ऊपर हो गया और में यकीनन कह सकता हूँ की दीदी को मेरे बाल दिखने लगे हूंगे दीदी बोली में तुम्हारे लिए हल्दी वाला दूध लेके आती हूँ और मैंने झट से कुरते को नीचे खीचा दीदी यह पूछने के लिए पलटी की मुझे और कुछ तो नहीं चाहिए और सायद उन्होंने मुझे मेरे लौडे को ठीक करते देख लिया और मुस्कुरा के बाहर निकलने लगे और इधर में लंड महाराज को सुलाने की कोशिस करने लगा लेकिन मेरी हर कोशिस पैर वो फुफकार मारने लगा इतने में दीदी आ गयी और मुझे बोली लो दूध पी लो अनायास ही मेरा चेहरा उनके मस्त गोल गोल अनारो की और हो गया दीदी का ध्यान मेरे टेंट की और ही था दीदी को इस तरह मेरे कुरते की और देखता हुआ पाकर कुरते के नीच हलचल सी होने लगी और इस हलचल को देखकर दीदी घबरा सी गयी और हलचल को रूकती हुई न पाकर में उठने की कोशिश करने लगा अचानक दीदी बोली लेटे रहो उठो मत में बोला दीदी मुझे बाथरूम आ रहा है दीदी नीचे की और झुकी और मेरे हाथ को अपने कंधे के ऊपर रख लिया जैसे ही दीदी झुकी तो उनके दो अनार मेरे आँखों के सामने आ गए में उनके बीच की गहरी खाई को नीचे तक देख पा रहा था दीदी मुझे अपना सहारा देखर बाथरूम की और ले जाने लगी बाथरूम में ले जाकर दीदी दूसरी और मुह करके खड़ी हो गयी में पेसाब करने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा लंड इतना टाइट था की पेसाब निकल ही नहीं रहा था मैंने दीदी से कहा की दीदी आप बाहर चली जाओ दीदी एक बार घूमी और मेरे और देखा फिर कुरते के नीचे उतान लिए हुए मेरे लौडे को देखा और मुस्कुरा के बाहर चली गई उनके जाने के बाद में थोडा सामान्य हुआ और बाथरूम करके बाहर आया और हदबदाकर गिरने ही वाला था की दीदी एकदम से मुझे गिरने से बचाने के लिए आगे आई और मेरा हाथ सीधा दीदी के मम्मो पर पड़ा सायद जोर से पड़ा होगा दीदी एकदम से सीत्कार उठी में तो जैसे धन्य ही हो गया था उनके मस्त गोल गोल अनार जैसे सख्त मम्मे को छु कर दीदी मुझे सहारा देखर बेद पर लिटा दिया
आज पहली बार दीदी के उन्चुए अनारो के छुने के सुखद अहसास के बारे में सोचता सोचता जाने में कब सो गया शाम को लेट उठा उठने पर अहसास हुआ की जख्म में दर्द काफी है इतने में निशा दीदी आई और बोली लेटे रहो दीदी के हाथ में खाना था और बोली खाना खा लो मैंने खाना खाया और दीदी को बोला दीदी बहुत दर्द हो रहा है दीदी ने मेरी और गौर से देखा और फिर थोडी देर में एक इंजेक्शन ले कर आई और मुझे लगा दिया जाने कब में सो गया

जब आँख खुली तो देखा सुबह हो चुकी थी में उठने को हुआ तो मेरा हाथ साथ में रखी टेबल पर रखे ग्लास से जा टकराया आवाज सुनकर दीदी भागी हुई आई और हे भगवान् में क्या देखता हूँ दीदी टावेल में थी सायद नहा के निकली थी निशा दीदी बोली क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं फ्रेश होने के लिए उठ रहा था की ग्लास पर हाथ लग गया तो निशा दीदी ने मुझे अपना सहारा दिया उनके बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और मम्मे ऐसे लग रहे थे मानो कह रहे हो कब छुओगे हमे और और जुदाई बर्दास्त नहीं होती मसल डालो हमे दीदी मुझे अंदर छोड़ कर बिना कहे ही बाहर आ गयी सायद उन्हें कल की बात याद आ गयी थोडी देर बाद में बाहर निकला तो दीदी आज बाहर ही खड़ी थी दीदी बोली लाओ अपना कुरता निकाल दो में तुम्हे गीले तोलिये से पुछ देती हूँ तो मुझे अहसास हुआ की में अभी भी सिर्फ कुरते में ही हूँ में बेड पर बैठ गया दीदी सायद मेरा संसय समझ गयी थी वह दो तोलिये ले के आई एक को मेरी जांघो पैर रखा और दुसरे को गीला करने चली गयी में तोलिये को अपनी गोद में फलाते हुए कुरते को निकला दीदी ने मेरे बदन को अची तरह से गीले तोलिये से पुछा दीदी के हाथो से स्पर्स से मेरा रोम रोम सिहर सा उठा दीदी जब तोलिये को मेरे पेट के पास फिराने लगी तो मुझे एक सुखद सा अहसास होने लगा और महाशय जी अंगडाई सी लेने लगे आप समझ गए होंगे कोन से महासय जी की बात में कर रहा हूँ जी हा मेरे लंड महाराज जी दीदी अभी भी तोलिये को लपेटे हुए थी अचानक मेरी निगाह उनके ब्रा पैर पड़ी और मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी अरे यारो ये तो वही ब्रा थी जो मैं ले कर आया था
निशा दीदी ने मुझे कुरता पहनाया और मेरे सामने ही कुर्सी डाल कर बैठ गई मेरी ड्रेसिंग करने के लिए दीदी जब ड्रेसिंग करने लगी तो मुझे दर्द का अहसास होने लगा और मैंने दीदी की जांघो को कास कर पकड़ लिया वो इतनी चिकनी थी मानो मक्खन की टिकिया हो नहीं नहीं मानो इन पैर जो फिसलेगा वो यही का होकर रह जाएगा ड्रेसिंग कर के दीदी उठने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और उसपर किस करने लगा दीदी बोली यह क्या है में बोला दीदी थैंक्स आप ने मेरी कितनी हेल्प की और में पागलो की तरह दीदी के हाथो पर किस करने लगा दीदी फिर वही मेरे सामने बैठ गई दीदी आज कुछ नोर्मल थी दीदी ने फिर वही बात छेड़ दी बता न तू अपनी गर्लफ्रेंड से कितना फ्री  था अब ज्यादा भोला बन्ने का नाटक मेरे आगे मत कर में देख चुकी हूँ तू कितना भोला है में दीदी से नजरे चुराने लगा दीदी बोली बोलेगा भी या नाटक ही करता रहेगा दीदी ने मेरे हाथो को अपने हाथो में लेकर अपनी गोद में रख दिए उनकी जांघो की चूँ से मेरे अंदर एक चिंगारी सी दोड़ने लगी एक सुखद सा अहसास सा होने लगा ऐसे लगा जैसे अपनी मंजिल बहुत पास है में बोला दीदी बस उसकी जांघो को छु लेता था दीदी को जैसे विस्वास न हुआ और नाराज सा होते हुए बोली अगर तुझे नहीं बताना तो मत बता मैं तेरी होती कौन हूँ दीदी ने फिर वही टीस सी मारी दीदी अछि तरह जानती थी मैं उनसे कितना प्यार करता हूँ और उनकी एकपल की भी नाराजगी बर्दास्त नहीं कर सकता मेरे मुँह से झट से निकल गया दीदी सिर्फ उसके मुम्मे और चुततर को छुआ है ये सब मेरे मुह से कैसे निकल गया मैं भी खुद हैरान था दीदी यह सुन कर मुस्कुराने लगी और यह विजयी मुस्कान उनके चेहरे पे ऐसे लग रही थी मानो पता नहीं कोन सा गढ़ जीत लिया हो मेरी नजरे यह बोलकर झुक गयी थी दीदी बोली सिर्फ छुआ था मैंने नजरे झुकाए झुकाए कहा नहीं उनको खूब दबाया भी था और  उसके हूठो को किस (चूसा) भी था दीदी ने मेरे बालो को सहलाया और उठ कर जाने लगी उनको जाते देख मैं हरान रह गया उनके चुततर ऐसे हिल रहे थे मानो जी कर रहा था अभी पीछे जा कर अपना लंड उनमे पेल दूं लेकिन उनकी चाल को देख कर ऐसा भी ehsaas हुआ मानो एक garv सा था सायद garv उस बात का जो वो jaanna chahti थी जान लिया हो
कुछ देर बाद दीदी मेरे रूम में आई और मुझे दर्द से टसकता हुआ देखा में अपना पजामा पहन चूका था इसलिए उन्हें मेरे साथ बैठने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई और मेरे साथ बैठ गई और मेरे बालो में अपने हाथ फेरने लगी उनके नर्म मुलायम स्पर्श से मुझे कुछ सुकून सा मिलने लगा और कुछ देर बाद हम इधर उधर की बाते करने लगे थोडी देर बाद मैंने हिम्मत करके पूछा दीदी आप से एक बात पूछू दीदी कुछ देर मेरे चेहरे को गौर से देखा और बोली पुछो मैंने दीदी को कहा दीदी मैंने आपको एक लड़के के साथ होटल में देखा था यह सुनते ही दीदी का चेहरा पीला पड़ गया और उनके मुह से सिर्फ में . . . . में . . .वो .वो में वो ..... तो में ..... में ही निकल रहा था में उन्हें कोम्फिर्ट करने के लिए बोला दीदी रहने दो अगर आप नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं ... मेरी बात सुनकर दीदी थोडा नोर्मल हुई और पुछा कब देखा था तो मैंने उन्हें उस दिन होटल वाली बात बता दी पता नहीं क्यों दीदी के चेहरे पे एक सुकून सा दिखाई दिया और वो बोली यश एक्चुअली में तुम्हे पहले ही बताना चाहती थी वो मेरे ही हॉस्पिटल में है उस दी जिद करने लगा लंच की और वह उसने मुझे प्रपोस भी किया वह मुझसे साडी करना चाहता है दीदी ने मुझे कहा में समझ नहीं पा रही थी की तुम्हे कैसे बताऊ इसी लिए मैं तुम्हे बार बार तुम्हारी गर्लफ्रेंड के बारे में पुच रही थी की सायद तुम मेरे से थोडा फ्री होगे और मुझे भी मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में पूछोगे में इसीलिए तो बार बार तुम्हारे आगे तोलिये में घूम रही थी की सायद तुम मुझे देख कर अपनी गर्लफ्रेंड को याद करो और मुझसे गर्ल फ्रेंड की बात करो और में तुम्हे इस बारे में बताऊँ यह सुन कर में जैसा सीधा आसमान से जमीन पैर गिरा और दीदी की और देखने लगा इस समय दीदी मेरे बाजू में लेती हुई थी मेरे कंधे पर अपना सर रखकर और उनके चेहरे को देख कर लगा की जैसे अब किसी से डरने की कोई बात नहीं है अब सब ठीक हो जाएगा अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं दीदी का ही साथ दूंगा दीदी ने अपनी आँखे बंद कर राखी थी और वो बला की खूबसूरत लग रही थी चेहरा इतना मासूम लग रहा था की एब बार तो मुझे ग्लानी सी महसूस होने लगी और मुझे हर वो बात याद आने लगी जब दीदी ने मेरी हेल्प की थी और में एकटक उनके चेहरे की और देखता रहा काफी सुकून सा मिल रहा था उन्हें, अपने दिल की बात मुझे बता कर मैंने दीदी के माथे को चूम लिया दीदी ने एक बार आँखे खोल कर मुझे देखा और मुस्कुरा के दोबारा आँखे बंद कर ली में इसी तरह बार बार निशा दीदी के माथे को चूमता रहा और जाने कब सो गया
तीन घंटे सोने के बाद मैंने दीदी को जगा दिया दीदी ने आँखे खोली और करीब पाच मीनट तक ऐसे ही देखती रही मैंने निशा के माथे को फिर चूम लिया और फिर निशा धीरे से उठी और फिर बिना कुछ कहे चली गयी थोडी देर बाद अनु भी आ गयी और आते ही सीधे मेरे कमरे में आ गयी और मेरे हालचाल पूछने लगी अनु ने रोना शुरू कर दिया मैंने उसे गले से लगाया और चुप कराने लगा निशा दीदी ने खाना तैयार किया और सबने मेरे कमरे में ही खाना खाया रात को नींद की गोली की वजह से मुझे कुछ होश नहीं रहा सुबह जब अनु चली गयी तब दीदी मेरे रूम में आई और मेरी ड्रेसिंग करने के लिए कहने लगी मैंने पजामा पहना हुआ था मैंने पजामा निकाला और लेट गया दीदी मेरी ड्रेसिंग करने लगी मैंने नोट किया दीदी टेढी नजर से मेरे लंड को देख कर मुस्कुरा रही थी मैंने दीदी से पुछा की दीदी क्या आप नहा ली तो उन्होंने कहा नहीं अभी नहीं मैंने कहा आप नहा कर मेरे कमरे में आ जाना और बाल यहाँ बना लेना तो दीदी बोली ठीक है पहले ड्रेसिंग तो कर दूं और ड्रेसिंग करने के बाद दीदी चली गयी और में कुरता उठा कर अपने लंड को देखने लगा मैंने पजामा जान बूझ कर नहीं पहना निशा दीदी नहा कर तोवेल में ही मेरे कमरे में आई और मेरे बाजू में बैठ गयी निशा दीदी की चिकनी जांघो को देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया निशा दीदी ने मेरे कुरते में टेंट बने हुए देख  लिया था लेकिन को फिर भी बैठी बैठी बाते करती रही जब निशा दीदी जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ के चूम लिया इस पैर दीदी बोली ये किसलिए तो मैंने कहा आपने मेरी इतनी हेल्प की इसलिए अब तो निशा दीदी को पूरा यकीन हो चूका था की में उनकी चिकनी और गोरी गोरी जांघो को देखता हूँ और मुझे भी यकीन हो गया था की दीदी भी तिरछी नजरो से मेरे लोडे को देखती है लेकिन हम दोनों में कुछ करने का होसला नहीं हो रहा था इसी तरह एक हफ्ता बीत गया और मैं लगभग ८० परसेंट ठीक हो गया था लेकिन अभी भी ड्रेसिंग दीदी के हाथो ही करवाता था आज भी दीदी नहा कर सीधे मेरे रूम में आई और मेरे पजामे को खोलने के लिए बोली मैंने सिर्फ नादा खोल दीदी तो दीदी ने मेरे हिप्स उपर उठाने को कहा मैंने जैसे ही अपने हिप्स उपर उठाये उन्होंने पजामा नीचे खीच लिया और मेरा ताना हुआ लौडाउनकी आँखों के सामने था मैंने मेरी नजरो को दूसरी और कर लिया जिससे दीदी को लगा की मुझे पता नहीं चला और वो कुछ देर और मेरे तन्नाये हुए लौडे को देखती रही उनकी साँसे बहुत जोर से उपर नीचे हो रही थी कभी कभी में तिरछी नजरो से उनके उपर नीचे होते हुए बूब्स को देख रहा था और जैसे ही में उनकी और देखता मेरा लौडा और तन जाता  दीदी ने बिना मेरे लौडे को ढके मेरी ड्रेसिंग करने लगी आज तो मुझे यकीन हो गया था की उनकी चूत भी कुलबुला रही है
निशा दीदी ड्रेसिंग कर के उठने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला दीदी बैठो न थोडी देर बाते करते है इस पर दीदी बोली मेरे को और भी बहुत काम है मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि थोडी देर बैठ जाओ तो वो बोली क्यों तुम्हे आज मुझसे ऐसा क्या करवाना है दीदी के मुह से यह सुन कर मेरे लंड ने एक बार और झटका मारा जो कि दीदी ने भी साफ़ साफ़ महसूस किया और हौले से मुस्कुरा दी मैंने कहा करवाना तो कुछ भी नहीं है सिर्फ बाते करनी है तो दीदी बोली वो तो हम शाम को भी कर सकते है मैंने उनका हाथ पकडे हुए उनकी जांघो पर रख दिया और बोला शाम तो बहुत दूर है मुझे तो अभी बाते करनी है तो दीदी बोली ये इतनी अर्जेंट कौन सी बात है जो अभी करनी है मैं बोला अर्जेंट तो नहीं लेकिन शाम को मूड नहीं रहेगा तो दीदी बोली अच्छा छोड़ तो में दुसरे कमरे में सामान रख कर आती हूँ मैंने उनका हाथ जोर से पकडा और कहा ये बाद में रख देना इस पैर दीदी बोली यश चिंता मत करो में ऐसे ही वापस आउंगी में उनका मतलब समझ गया था वो तोवेल में ही वापस आने कि बोल रही थी

निशा दीदी से कमरे से निकलते हुए कुछ सामन नीचे गिर गया और वो उसे उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुकी तो उनकी पेंटी मुझे साफ़ साफ़ नजर आ रही थी और यारो यह वही पेंटी थी जो मैंने उन्हें दी थी और मुझे ये याद आया कि इस बारे में तो में भूल ही गया था चोट के चक्कर में पाच मीनट के बाद दीदी वापस आई वो अभी भी तोलिये में ही थी में बहुत खुस हुआ दीदी आ के मेरे पास मेरी तरह टाँगे फैला के मेरी तरह बैठ गयी और बोली हां अब बोलो कौनसी ख़ास बात करनी है

मैं बोला दीदी में आप को धन्यवाद बोलना चाहता हूँ दीदी बोली किस बात का यही कि आपने पूरे एक हफ्ते कितनी हेल्प कि दीदी पहले तो हँसी फिर बोली तो चलो बोलो, तो मैंने कहा कि बोल कर नहीं दीदी आपको गले लगा कर अच्छा तो मेरा रजा भैया मुझे गले लगा कर थैंक्स बोलना चाहता है और बोली चलो आओ इस पर में बहुत खुस हुआ और उनको गले से लगा लिया दीदी ने अपने सर मेरे कंधे पर रख लिया मैंने दीदी को अपने हाथो से टाइट जकड लिया मैंने दीदी का हाथ पकडा और उनके माथे पैर किस किया दीदी मेरे साथ इस तरह लेटी थी कि उनका सर मेरे कंधे पर और हम दोनों का मुह आमने सामने था उनकी जांघे मेरे जाघों से टच हो रही थी टेढा सोने कि वजह से मेरा कुरता थोडा ऊपर हो गया था मैंने उसे नीचा करने कि कोई कोशिस नहीं कि और मुझे लगा सायद दीदी उसे अपने पेट पैर महसूस कर रही होगी
निशा दीदी कि नंगी जांघे जब जब मेरे जांघो को छु रही थी तब तब मेरा लंड और तन्ना जाता था निशा दीदी सब देख रही थी मैंने दीदी को तीन चार बार किस किया उनके माथे पे और कहा दीदी धन्यवाद दीदी ने भी मुझे किस किया और कहा बस हो गया थैंक्स अब मुझे जाने दो मैंने दीदी को छोडे बिना कहा ठीक है दीदी उठने लगी तो मैंने दीदी से कहा दीदी क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूँ अगर आप नाराज न हो तो दीदी उठते हुए बोली क्या है मैंने कहा दीदी आपको मेरा गिफ्ट कैसा लगा दीदी का चेहरा शर्म से लाल हो गया आज उनके चेहरे पे कोई गुस्सा नहीं था बल्कि शर्म कि लाली थी दीदी कुछ नहीं बोली और बाहर चली गयी दीदी के बाहर जाते ही मैंने अपने लंड को सम्हाला उसकी हालत तो ऐसे हो रही थी जैसे कि अभी इसके हजार टुकड़े हो जायेंगे और इसमें से ज्वालामुखी फट जाएगा में गेट कि और पीठ करके मुठ मारने लगा और दीदी कि गांड के बीच फसी मेरी दी हुई पेंटी को याद करने लगा में तेज तेज हाथ चला रहा था कि दीदी के आने से पहले ही शांत हो जाऊ और कुछ ही समय में मेरे अन्दर का लावा बहार निकलने लगा और इतने में मुझे अहसास हुआ कि दीदी जैसे गेट पर कड़ी है मेरी गांड पैर से कुरता हटा हुआ था और मैं झटके मार रहा था मैंने भी बेसरम होते हुए अपनी गांड को ढकने कि कोई कोशिश नहीं कि और दीदी कि और भी नहीं देखा
और में सोने कि एक्टिंग करने लगा निशा दीदी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गयी और मेरी नंगी गांड को घूरने लगी और मेरे आगे कि गन्दी हो चुकी बेडशीट को देखने लगी मुझे ऐसा लगा कि जैसे दीदी ने अपनी चूत को खूब जोर से मसला और एक हल्की सी आ भरी और फिर दीदी ने सँभालते हुए कहा कि यश में हॉस्पिटल जा रही हूँ में सीधा हो गया और जो मैं चाहता था वह हो चूका था मैंने दीदी को कहा दीदी क्या आप जल्दी आ सकती हो तो दीदी ने कहा कि देखूँगी अगर काम ज्यादा नहीं हुआ तो आ जाउंगी दीदी बाहर जाने लगी तो मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर पुछा दीदी आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया दीदी क्या आपने वह पहन के देखे है मुझे मालूम था कि दीदी वह पहन चुकी है फिर भी में उनके मुह से सुनना चाहता था दीदी बोली मुझे अभी देर हो रही है आ कर बात करते है दीदी के चेहरे पर फिर से वही शर्म कि लाली छा गयी थी और दीदी बाहर चली गयी में पीछे से उनकी गांड के दोनों गोलों को देखर रहा जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गए
लगभग ढाई बजे डोर बेल बजी मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो आज मोसम बड़ा ही सुहाना था सामने दीदी खड़ी थी मैं उनको देख कर बहुत ही खुश हुआ उन्होंने अपने बैग को टेबल पर रखा और फ्रेश होकर मेरे कमरे में आ गयी हम दोनों बाते करने लगे निशा दीदी का दुपट्टा उनकी गोद में था और उनकी घाटी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी उनमें से मुझे फिर वही मेरी लायी हुई ब्रा मुझे दिखाई दी मैंने सोचा चलो अब एक बार और पूछ के देखता हूँ लेकिन जैसे ही दीदी ने मुझे अपनी घाटी को घूरते देखा वह बिना कुछ कहे दुसरे कमरे में चली गयी और में अपने आप को कोसता रह गया मोसम इतना हसीं हो रहा था कि ८० साल के बुद्धे कि लुल्ली भी ऐसे मोसम में ऐसे तन जाए जैसे कि  वियाग्रा कि गोली खा ली हो और मेरा तो हाल वैसे ही खराब था आप लोगो को क्या बत्ताऊँ और सायद मोसम का ही असर था कि निशा दीदी फिर से मेरे कमरे में आई और बोली चलो बाहर चलते है मैं निशा दीदी का हाथ पकड़ कर घर के पीछे वाले लॉन में आ गया हम वहा घास पर बैठ कर बाते करने लगे मैंने निशा दीदी का हाथ अभी भी पकड़ रखा था निशा दीदी ने इस समय दुपट्टा नही लगाया हुआ था सायद अन्दर ही छोड़ आई थी और वो मेरे बहुत ही नजदीक बैठी थी में उनकी चिकनी चिकनी मस्त घाटी को बाते करते करते देख रहा था कि तभी अचानक जोर से बारिस आ गयी मैं उठने लगा तो दीदी बोली यश आज बारिश में नहाते है में सिर्फ आज बारिस का एन्जॉय करने के लिए आई हूँ हम दोनों घास पर चलने लगे कपडे गीले होने कि वजह से निशा दीदी का एक एक कटाव सपष्ट दिखाई दे रहा था और में सोचने लगा कि अपने मम्मे तो बार बार ऐसे नजदीक से दिखा रही है और कह रही है कि में सिर्फ बारिस में नहाने आई हूँ बस एक बार तुम नीचे आ जाओ अछि तरह नहला दूंगा मैंने निशा दीदी को कंधो से पकड़ के अपने साथ लगा लिया हम लोग लगभा आधे घंटे तक बारिस में नहाते रहे और जब बारिस रुकी तो हम कमरे में आ गए
में भी दीदी के साथ उनके कमरे में ही चला गया मैंने दीदी का हाथ पकडा और बोला दीदी बताओ न क्यों सता रही हो दीदी बोली क्या यश क्या बत्ताऊँ में दीदी के गालो को लाल होते हुए साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था और दीदी ने बोला कि कहा सता रही हूँ तो में बोला मेरी गिफ्ट आपको कैसी लगे दीदी बोली बहुत खूबसूरत और हल्के से मुस्कुराई मैं बात को और आगे बढ़ाना चाहता था फिर मैं बोला दीदी अगर साइज़ या कलर सही नहीं आया हो तो मुझे बता देना में बदलवा लाऊँगा दीदी मुस्कुराते हुए वाशरूम में गयी और तोलिये को लपेट कर आ गयी और बोली तुम ने कपडे चेंज नहीं करने है क्या , मेरा अपने कमरे में जाने को दिल नहीं हो रहा था दीदी बोली में ला देती हूँ जखम गीला होने कि वजह से मेरी टांग में दर्द हो रहा था जब दीदी मेरे कपडे लेके आई तो मैंने दीदी को कहा तो दीदी बोली लगता है जखम गीला हो गया होगा तुम बैठो मैं अभी ड्रेसिंग कर देती हूँ में अपना पजामा निकाल कर और कुरते को थोडा पहला कर दीदी के बेड पर बैठ गया दीदी भी मेरे पास बैठ गयी और जैसे ही दीदी ने मेरे मेदिसेन लगाईं मुझे बहुत दर्द हुआ और मैंने न चाहते हुए भी दीदी कि चिकनी और गोरी गोरी जांघो को कास कर पकड़ लिया निशा दीदी मेरे जखम पैर ड्रेसिंग करने के बाद उसी बेड पैर लेट गयी और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर मेरे बालो में अपना हाथ फेरने लगी
मैंने निशा दीदी को अपने साथ लगा के उनके माथे पे किस करने लगा दीदी ने मेरी छाती पे अपने हाथ रख दिए सीधे लेते होने कि वजह से दीदी को मेरा तम्बू साफ़ दिखाई दे रहा था दीदी कुछ देर बाद बोली यश बहुत अछे है में बोला क्या दीदी तो दीदी बोली तुम्हारे अंडर गारमेंट्स तो में बोला दीदी वो तो में पहनता ही नहीं इस बार दीदी जोर से हँसी और बोली वो तो मुझसे ज्यादा अब और कौन जानता है लेकिन मैं जो तुमने मुझे दिए है उनकी बात कर रही हूँ में यह सुन कर बहुत खुश हुआ और एक बार फिर से दीदी के माथे पैर एक चुम्बन अंकित कर दिया मैंने पुछा दीदी आप को कौन सा अच्छा लगा तो दीदी बोली सब्भी अच्छे है हालाकि में ये जानता था कि दीदी मेरे लाये हुए चड्डी और ब्रा को पहन चुकी है फिर भी में बात को आगे बढ़ते हुए बोला कि दीदी आप कब पहनोगी तो दीदी बोली यश अगर में पहन भी लूंगी तो तुम्हे कौन से नजर आयेंगे ऐसे बोल कर दीदी ने मेरी और करवट ली और मेरी जांघ पैर अपनी एक जांघ मेरे लंड से धोदे ही नीचे रख दी दीदी कि नर्म मुलायम और चिकनी जांघो को महसूस करते हुए मैंने मन ही मन सोचा कि ए हुस्न परी ऐ नाजनीन, ए मल्लिकाए हुस्न मेरी जान नजर तो मुझे आ चुके है लेकिन में तो तुम्हारे हुस्न कि वो लाली और आँखों में वो हया(शर्म) देखना चाहता हूँ जब तुम मुझे बताओगी कि आज मैंने पहने हुए है यारो मुझे सायरी नहीं आती लेकिन आज यह अचानक मेरा मन साय्राना कैसे हो गया लगता है पुराने लोगो कि कही बात एकदम सही है कि इश्क सब सिखा देहा है लेकिन मैं बोला दिखेंगे तो नहीं लेकिन आप बताओगी ना
दीदी बोली ठीक है बाबा बता दूंगी इसी बात पैर मैंने झट से दीदी के गालो को तीन चार बार चूम लिया कितने गोल गोल गाल थे दीदी के (नीचे फोटो भी दे रहा हूँ दीदी के गालो कि ) गालो के चुम्बन का प्रथम अहसास में तो यारो हवा में उड़ने लगा लंड जोर जोर से झटके मारने लगा जैसे दीदी के जिस अंग पे भी टच हो जाए वही एक छेद कर देगा (इसी बात पर एक बात याद आई एक बार चूत और लुंड में द्वंद हो रहा होता है और यारो एक बात और है हमारे लंड को खमंड भी बहुत हो जाता है इसी घमंड में बोला चूत चूत तुझे इतना चोदु चोद चोद के गडडे खोदु चूत तो इस सृष्टी कि जननी है उसे अपने पर क्यों घमंड होगा वह तो सालीन है लंड को उसकी औकात बताना जानती है और बड़े ही प्यार से बोलती है एय लंड नादान तुने देखा नहीं मैदान अकड़ के आते है और सुकड़ के जाते है ) अभी में दुबारा किस करने वाला ही था कि डोर बेल बजी दीदी घबरा गयी मैंने जल्दी से दीदी के गाल पे किस किया और दीदी को बाथरूम जाने को कहा और खुद पजामा पहन कर गेट खोलने चला गया गेट पर अनु थी हम अन्दर आये और बाते करने लगे इतने में दीदी भी आ गयी अनु ने पुछा दीदी आप आज जल्दी आ गयी तो निशा दीदी बोली कि आज मेरे तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मेरी और देख कर मुस्कुराने लगी में बाहर आ कर सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगा अनु भी मेरे साथ लेट गयी जगह कम होने कि वजह से मुझे अनु को कमर से पकड़ कर सहारा देना पड़ा
ताकि वो नीचे न गिर जाए अनु ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया मैंने उसे अपनी और खीचा तो उसने अपनी टाँगे मेरी टांगो के ऊपर रख दी अनु के साथ मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीं सोचा था सिर्फ कभी कभी उसके गालो पे किस कर लेता था और उसके चुतड पैर भी हाथ फेर लेता था अनु ने कभी कुछ नहीं कहा था मैं अनु कि कमर पैर हाथ फेर रहा था इतने में दीदी आ गयी और दीदी मुझे घूर कर देखने लगी शायद दीदी को जलन हो रही थी कि मैंने अनु को अपने साथ लिटा रखा है
एक बात और वो कहते है न कि दिन में एक बार आपकी जुबान पैर सरस्वती बैठती है और उस समय आप जो कहोगे वह सच हो जाता है सायद दीदी के साथ भी वही हुआ बारिस में ज्यादा देर भीगने के कारण उनको रात तक बुखार हो गया और रात में जा सब लोग सो गए तो में चुपके से उनके कमरे में गया और उनके बेड के पास बैठ गया
दीदी का मुह दूसरी और था और उनकी मस्त गोल गोल गांड मेरी और उभरी हुई थी उनकी गोल गोल गांड देख कर मेरे अंदर एक सनसनी सी दोड़ने लगे मैं थोडा आगे की और झुक कर निशा की गांड को छूते हुए पुछा दीदी सो गयी क्या निशा ने कोई बात नहि की मैने दीदी से से हाल पुछा, दीदी बोली की पूरा बदन टूट रहा है, में बोला की मैं दबा दूं ? मेरा तो सारा जिसम दर्द कर रहा है तुम कहाँ कहाँ से दबाओगे में बोला की दीदी आप जहा जहा से बोलोगी मैं दबा दूंगा दीदी बोली ठीक है दीदी की इजाज़त मिलते ही मैंने उनके सर को हल्के हाथो से दबाया और दबाने के बहाने उनके गोरे गोरे गालो को कई बार छुआ थोडी देर सर दबाने के बाद उनके कंधे और बाजुओ को मसलने लगा दीदी की दोनों पिरामिड मेरी आँखों के सामने थे मन कर रहा था की अभी इन्हें मसल डालूँ और इधर लैंड भी परेशान करने लगा था दीदी की कोहनी से कंधे तक मसलते हुए मैंने कई बार उनको छुआ और उन मुलायम चूँ को महसूस करता रहा कई बार उनको छुते छुते ही दीदी से पूछता की दीदी आराम तो मिल रहा है न दीदी कुछ नहीं बोलती बस हाँ में गर्दन हिला देती फिर थोडी देर बाद मुझे नीचे की भी याद आई और दीदी के पांवों को मसलने लगा और उनकी सलवार को थोडा उपर उठा कर उनकी नरम मुलायम नाजुक पिंडलियों को दबाने लगा फिर उनकी जांघो को दबाने के बहाने बीच बीच में उनकी चूत को भी टच करने लगा कुछ देर बाद दीदी ने कमर दबाने को कहा और उलटी लेट गयी दीदी की मस्त मस्त गांड पूरी की पूरी मेरी आँखों के सामने थी मैं दीदी की गांड को देखते देखते उनकी कमर को दबाने लगा कुछ देर बाद दीदी बोली की कमर ही दबाता रहेगा या नीचे टाँगे भी दबाएगा मैं बोला दीदी दबाता हूँ और मैं हल्के हाथो से दीदी की टांगो को दबाने लगा दीदी बोली यश बहुत तेज़ दर्द हो रहा है ऐसा कर मेरी जांघो पे बैठ जाओ और कमर दबाते रहो और जांघो पे बैठने की वजह से पैरो को भी आराम मिलेगा मैं दीदी की जांघ पैर बैठ गया और आगे को झुक कर दीदी की कमर दबाने को जैसे ही हुआ मेरा ताना हुआ लैंड दीदी की गांड में छेद करने को बेताब होने लगा मैंने सोचा की दीदी डाटेंगी पैर दीदी कुछ नहीं बोली और मैं मेरी जांघो से दीदी की जांघे और मेरे लैंड से दीदी की गांड और हाथोसे दीदी की कमर को दबाने लगा मेरा लैंड की हालत तो ऐसे हो रही थी मानो सलवार को फाड़ कर सीधा उनकी गांड में धस जाएगा थोडी देर बाद मैं दीदी के उपर लेटता हुआ सा दीदी के गाल का एक चुम्बन लिया और जैसे ही मेरे होंठ दीदी के गाल से मिले मुझे अहसास हुआ की दीदी का चेहरा बुखार के कारण तप रहा है और जब मैंने दीदी को गोर से देखा तो पाया की दीदी की आँखों से आँसू निकल रहे है मैंने पुछा दीदी क्या हुआ दीदी बोली मेरा बदन बहुत दुःख रहा है ऐसे लग रहा है जैसे की मुझे किसी बड़े पहाड़ के नीचे दबा दो जो अची तरह से मेरे बदन को दुखने से बचा दे दीदी के आँसू और ऐसी बात सुन कर मेरा सारा नशा काफूर हो गया और मैंने जोर से दीदी को अपनी बाहों में भीच लिया और प्यार से तीन चार बार दीदी को किस किया और मन लगा कर दीदी के पूरे बदन को दबाने लगा मुझे लगा थोडी देर बाद जैसे दीदी सो गयी मैंने दीदी को दो चार बार आवाज मारी पर दीदी नहीं बोली मैं अपने रूम में वापस आ गया और लेट गया और मुझे काफी गलानी सी महसूस होने लगी और जाने कब मैं सो गया
अगली सुबह जब सब लोग चले गए तो मैं निशा दीदी के लिए नास्ता ले के उन के कमरे में गया और दीदी से दीदी का हाल पुछा दीदी की तबियत आज सही लग रही थी लेकिन कमजोरी अभी भी थी मैं दीदी से उ ही इधर उधर दी बाते करता रहा और आज का दिन ऐसे ही निकल गया दीदी का मूड अच्छा होने की वजह से मैं फिर से जोश में आ गया और रात को फिर दीदी का हाल पूछने उनके रूम में चला गया में दीदी को बोला की दीदी अआप्का बदन आज भी दुःख रहा है क्या तो दीदी की आँखों में मैंने एक चमक सी महसूस की और दीदी बोली हां आज भी कल के जैसे ही दबा दे सिर्फ कमर कमर ही दुःख रही है मैं तो जैसे खुसी से झूम उठा दीदी पेट के बल अपने पिछवाडा ऊपर कर के लेट गयी और मैं अपना लगभग खडा हो चुके लोड को हाथ में पकड़ कर पलंग पैर चढ़ गया और दीदी के जांघो के उपर बैठ कर लैंड को दीदी की गांड पर भिदा कर उनकी कमर को दबाने लगा आज मैंने एक नयी चीज महसूस की की दीदी की गांड में मेरा लैंड कुछ ज्यादा ही नरम नरम सा अहसास दे रहा था जब मैंने ध्यान दिया तो मेरा लोडा और टाइट होने लगा क्योकि दीदी ने आज चड्डी नहीं पहनी हुई थी मैं और दबाब बनता हुआ सा दीदी के उपर लेट गया और उनके गालो पे किस करने लगा दीदी ने अपना मुह घूमा कर दूसरी और कर लिया मुझे लगा सायद दीदी नाराज हो गयी है तो फिर मैं पुनः उनकी कमर दबाने लगा और कुछ देर बाद हिम्मत करके फिर से उनके गाल पर किस किया तो दीदी बोली चार बार और किस करो मैं हैरत से दीदी को देखने लगा फिर दीदी बोली तुमने मेरे इस गाल पैर पांच बार किस किया था तो इस गाल पर भी किस करो मैं दीदी के पूरे बदन को अपनी बाहों में कस कर जोर जोर से दीदी के गालो पैर चुम्बन अंकित कर दिए पर यारो होता तो वही है ना जो भगवान् ने लिखा हुआ है मुझे बाहर कुछ कदमो की आहात सी सुनाई दी मई झट से दीदी से अलग हो गया और इतने में ही रूम में अनु ने प्रवेश किया और दीदी से उनका हाल पूछने लगी और बाते करने लगी अनु बोली की दीदी मैं आज आपके पास सो जाऊ उसके मुह से यह सुनते ही मुझे लगा की आज कुछ नहीं होने वाला वह री किस्मत अगर आज छूट नहीं देनी थी तो इससे अच्छा तो दीदी की किस ही ढंग से लेने दिति और किस्मत को कोसता हुआ अपने रूम में आके लेट गया पैर कां कहा था आज लोडे को जो उसको चाहिए ध उसका और नजदीक से चुम्बन जो मिल चूका था मैं जोर जोर से अपने लंड को हिलाने लगा और तब तक हिलाता रहा जब तक की उसमें से पानी की एक एक बूँद तक नहीं निकल गयी
अगले दिन घर में सभी लोग थे तो कुछ बात बनने वाली नहीं थी और शाम तक मैंने रात को दीदी के रूम में ना जाने का फैसला किया अब आप लोग सोच रहे होंगे की कम से कम किस करने को तो मिल रहा था नहीं यारो मैं आज दीदी के दिल की बात जानना चाहता था की उधर भी खुजली हो रही है की नहीं सो मैं दीदी के रूम में नहीं गया क्योकि मुझे यकीन था की अगर उधर भी खुजली होगी तो वो आज जरूर मेरे रूम में आएगी लेकिन घडी में १० बजे, ११ बजे और १२ भी बजा पैर दीदी नहीं आई और में उनका इन्तजार करते करते सो गया क्या हसीं सा सपना आ रहा था की दीदी मेरे रूम में आई है और मेरे माथे को चूम रही है और मेरे गालो को किस कर रही है और मैंने अपनी बाहों का घेरा बना कर उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके उपर आने के लिए मैंने उन्हें बाहों में लिए लिए ही करवट ली करवट लेने पैर मुझे कुछ भारीपन का अहसास हुआ और जब आँख खोल कर देखा तो मैं दीदी के ऊपर चदा हुआ दीदी की छुट से मेरा लंड भिडा हुआ उनकी छाती से मेरी छाती चिपकी हुई थी मैं दीदी को हक्का बक्का सा एकटक उनको घूर रहा था दीदी बोली की यश क्या बात है क्या तुम मुज्झ से नाराज हो क्या मैं बोला नहीतो दीदी तो फिर आज तुम मेरे रूम में क्यों नहीं आये मैं बोला की बस ऐसे ही आज कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो दीदी बोली क्या हुआ मेरे राजा भैया को और मेरे गाल को चूमने लगी
दीदी अब तक मेरे गालो पैर तीन चार बार किस कर चुकी थी और मैं इस पल को जैसे रोक लेना चाहता था दीदी मुझे किस कर रही थी और मैं दीदी के बदन को सहला रहा था कुछ नहीं दीदी वैसे ही दिल नहीं कर रहा था तो दीदी बोली की दिल नहीं कर रहा था या कोई और लड़की पसंद आ गयी है मैं बोला नहीं दीदी कोई और लड़की नहीं है बस ऐसे ही तो दीदी बोली की अगर यह बात नहीं है तो तुने मुझे अभी तक एक बार भी किस क्यों नहीं किया और में दीदी के गालो को चूमने लगा और दीदी को थोडा सा टेडा कर के उनकी गांड को अपने हाथ से सहलाने लगा मैंने दीदी को किस किया और उनकी गांड पर हाथ रख दिया ना तो दीदी ही जाने के मूड में लग रही थी और ना ही आज मैं उनको चोदे बिना रहने वाला था मैंने दीदी से पुछा की दीदी एक बार और किस कर लूं सुनो यश मैं तुम्हारी दीदी हूँ तुम्हारे पास हूँ तुम दो बार भी कर सकते हो मैंने दीदी की बात को गोर से सुना और मुस्कुराया और सोचा की दीदी काश इस बात को तुम जरा इस तरह से कहती की सुनो यश मैं तुम्हारी रंडी हूँ तुम्हारे पास हूँ तुम जो भी कर सकते हो कर लो दीदी मुझे सोचता देख के बोली की क्या हूया में बोला कुछ नहीं और अपने होठ उनके कश्मीरी सेब जैसे गालो पर रख दिए और चूसने लगा करीब पाच मीनट के बाद दीदी बोली की दुसरे गाल पर भी करना है मैंने अपने होठ थोड़े पीछे किये तो दीदी ने दूसरा गाल आगे कर दिया मैंने अपने होठ दुसरे गाल से लगा दिए और एक हाथ से दीदी की उभरी हुई गांड पैर हाथ फेरने लगा और बीच बीच में दबाने भी लगा दीदी आज सायद सच में मूड में थी वह कुछ नहीं बोली और मजे लेती और देती रही मैंने दीदी की गांड को और जोर जोर से दबाना सुरु कर दिया मैंने दीदी की गांड पैर से कपडे को थोडा उपर भी सरका दिया और करवट बदल कर दीदी को अपने उपर ले आया इस तरह से मेरे दोनों हाथ दीदी की गांड पैर आजादी से फिरने लगे और फिर कपडे को थोडा और उपर करके उनकी गोरी गोरी चिकनी कमर को भी सहलाने लगा.
मेरा मन दीदी के मम्मो को चूने का किया मैंने धीरे से दीदी को करवट कर के लेटाया और उनकी कमर को सहलाते सहलाते अपना हाथ ऊपर की और बढाता हुआ उनकी चूची की साइड में फिरने लगा और एक दो बार साइड में हात फेरते फेरते उनकी चूची को भी छु लिया नरम मुलायम गर्मागर्म थी दीदी की चूची निशा सुकून से लेटी रही और मैं दीदी की चुच्ची के इर्दगिर्द हाथ फेरता रहा मुझे बहुत मजा आ रहा था सायद दीदी को भी मैं दोबारा अपना हाथ नीचे की और लाया और फिर से उनकी गांड को सहलाने लगा और एक ऊँगली दीदी की गांड की लकीर पर फेरने लगा इस के साथ साथ मैं दीदी के गालो को भी चूम रहा था दीदी थोडी थोडी देर में दूसरा गाल आगे कर देती थी और मैं उस गाल को चूमने लग जाता था कुछ देर तक दीदी की गांड की लकीर पैर ऊँगली फेरने के बाद मैं अपना हाथ उपर की और लाया और दीदी की चुच्ची पर रख दिया अब की बार मेरा हाथ ठीक से उनके मुम्मे पर रख दिया था एक मीनट हाथ फिरवाने के बाद दीदी बोली की यश मैं चलती हूँ कहीं पापा न आ जाए दीदी अभी थोडी देर रुको न दीदी बोली की नहीं यश पापा अभी तक नहीं सोये और दीदी मुझे किस करके चली गयी यारो आप लोगो के साथ तो कुछ भी के अल पी डी नहीं हुई जो की मेरे साथ हो गयी थी नींद तो जैसे मेरी आँखों में थी ही नहीं मैं तो अभी और मज़ा लेना चाहता था और मैं कुछ देर इंतज़ार करने के बाद निशा के रूम में चला गया और अन्दर जा कर रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया
दीदी अपनी राईट साइड को सो रही थी मैं दीदी के पीछे लेट गया और निशा के पेट पर हाथ दाल कर खुद को उससे चिपका लिया निशा ने एक बार पीछे मुद कर देखा और मुझे पा कर फिर से अपने मुह आगे कर लिया मैंने दीदी का सर उठा कर अपने बाजू पर रख लिया इस तरह मेरा राईट हैण्ड उस की चुच्ची के बिलकुल नजदीक था मैं उपर से नीचे तक दीदी के साथ चिपका हुआ था मेरा लैंड तो जैसे पहले से ही अकडा हुआ था मैंने थोडा पीछे हो कर दीदी की गांड से और मेरे लंड से कपडा हटा दिया अब मुझे अपना लंड दीदी की गांड मैं घुसता हुआ महसूस हो रहा था . मैं ने निशा को जांघो से पकड़ लिया और अपनी और दबाया दीदी ने भी रिस्पोंसे दिया और मेरा हाथ अपनी चुच्ची पैर जोर से दबा दिया मैंने दीदी की चुच्ची पैर हाथ रख दिया और दुसरे हाथ से दीदी का हाथ पकड़ कर अपनी गांड पर रख दिया जिस्सेकी वह आगे की और न हो. अब मेरी हिम्मत बाद गयी थी और मैं ने दीदी के मम्मे जोर जोर से दबाने सुरु कर दिए थे और दीदी के मुह से हलकी हलकी सिसकी निकल रही थी मुझे उनके मुह से सिसिकी सुन कर अच्छा लगा और में उनकी चुच्ची और जोर से रगड़ने लगा दीदी ने मेरी और देखा और मैंने उनके गाल पर किस कर दिया और अब अपना हाथ दीदी के कपड़ो के नीचे ले गया और ब्रा के उपर से दीदी की चूची को दबाने लगा दीदी की साँसे और तेज हो रही थी मैंने एक ऊँगली निशा की ब्रा के नीचे दल दी और उनकी चुच्ची के डायरेक्ट स्पर्स को महसूस करने लगा अब सायद दीदी से रहा नहीं जा रहा था और वह करवट ले कर कमर के बल लेट गयी मैंने अपने मुह निशा के मुह के पास किया तो निशा ने मेरे होठ चूम लिया मुझे एक करंट सा लगा उधर से भी जवाब आने लगा था रिस्पोंसे तगादा मिलने लगा था और मैं भी बिना देर किये दीदी के रसीले होठो पर टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा
मैं अपना एक हाथ दीदी की पीठ पर ले जाकर उनकी ब्रा का हूक खोल दिया और फिर अपना हाथ आगे लाकर उनकी ब्रा को हल्के हल्के से उनकी ब्रा उनके मस्त मम्मो पर से हटा दी अब दीदी की चुच्ची मेरे हाथ में थी पूरी तरह मेरे हाथ में एकदम गोल गोल जैसे की टेनिस की बोल पर साइज़ थोडा सा बड़ा हा लेकिन टाइट उससे कही ज्यादा निशा के निप्प्ले एकदम से टाइट हो चुके थे और सिसकारी और जोर जोर से निकल रही थी और वासना में भरी हुई मेरी निशा मुझे एकदम से टाइट पकड़ कर मेरे होठो को चूस रही थी करीब दस मिनट के बाद मैं अपना हाथ धीरे धीरे नीचे ले जाने लगा और दीदी की जान्हो को सहलाने लगा और फिर दीदी के कपड़ो के उपर से ही दीदी की चूत को सहलाने लगा इस बार दीदी ने जैसे झटका खाया हो और एकदम से अपनी टांगो को टाइट बंद कर लिया और मेरे हाथ को अपनी चूत पैर अपनी टांगो से जकड लिया मैंने भी दीदी की चूत को सहलाना छोड़ कर उसे मसलने लगा कपडा थोडा गीला हो गया था और चूत के उपर से ऐसा लग रहा था जैसे की भाप निकल रही हो कुल मिला कर दीदी अब एकदम गरम हो चुकी थी
और सच बताऊँ तो मैं अब निशा को एकदम से नंगी देखना चाहता था और देखना भी क्या बस अब तो उसे ढंग से रगड़ना चाहता था और मुझे डर भी था की कही मैं कपडे उतारने की पहल करून और ये बिदक ना जाए और कही फिर से खड़े लंड पे धोखा न हो जाए और मैं दीदी के होठो को और जोर जोर से चूसने लगा ताकि वह और गरम हो जाए और उलझी रहे और मैं उनके होठो को चूसने के साथ साथ उनके कपड़ो पर अपना कमाल दिखाने लगा दीदी के और दीदी के होठो को चूमते चूमते दो चार बार करवट ली और मैं और मेरी प्यारी दीदी दोनों सिर्फ चड्डी ब्रा/बनियान में और होठ अभी भी जुड़े के जुड़े मैं अपना एक हाथ दीदी की चड्डी के भीतर ले गया और दीदी की चूत को सहलाया दीदी ने अपनी चूत पर डायरेक्ट स्पर्स को पा कर अपने होठ को मेरे होठ पर से हटाया और एक नजर अपने और मेरे सरीर पर डाली और कुछ कहने ही वाली थी की मैंने दौबारा से उनके होठ को अपने होठ में दबा लिया और सायद दीदी भी वासना के नसे में थी और जानती थी की ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगी सो होठो पर होठो से जवाब देने लगी और में दीदी की चूत को और प्यार से और आराम से मसलने लगा चूत एकदम से गरम और गीली हो गयी थी फिर थोडी देर बाद मैंने दीदी की ब्रा को हटाने की कौशिश की पर वह उनके नीचे दभी हुई थी और हटा तो में उसे वैसे भी दीदी को एक करवट दिला के कर सकता था लेकिन मैं दीदी को थोडा खोलना चाहता था सो मैं दीदी के कान में धीरे से बोला की दीदी प्लीज थोडा उपर हो जाओ और दीदी मेरे मजे लेते हुए बोली क्यों यश दीदी मुझे आपकी चुच्ची को छूना है इसपर दीदी बोली की अभी थोडी देर पहले ही तो तुमने मेरी ब्रा को हटा कर छुआ था दीदी वैसे मजा नहीं आया था और दीदी उठ गयी और बड़े ही प्यार से अपने हाथ ऊपर उठा दिए और मैंने दीदी की ब्रा को निकाल दिया और दीदी की ब्रा के हटते ही दीदी का गुन्दाज जिस्म मेरे सामने दुधिया रौशनी, दुधिया रौशनी तो नहीं बोल सकता पर ट्यूब लाइट की रौशनी में एकदम से चमक रहा था और जैसे कई फिल्मो में लड़की के पीछे अक्षय कुमार को लार टपकाते हुए देखा होगा वेसे ही मेरी भी लार मेरी प्यारी दीदी की चुच्ची को चूसने के लिए टपकने लगी और मैंने बिना देर किये हुए दीदी को वापस बेड पर लिटा किया और अपने होठो से दीदी की चुच्ची को चाटने लगा, चूमने लगा और वासना की खुमारी में बीच बीच में काटने भी लगा और जैसे ही में काटता दीदी के मुह से हल्की सी कराह निकलती पर मुझे हटाने की वजाय मेरे सर को कसकर पकड़ती और अपनी चुच्ची की और दवाब देती दीदी की आँखे हलकी गुलाबी हो चुकी थी और में एक हाथ से दीदी का हाथ पकडा और अपना लंड पकडा दिया थोडी देर नखरे चोदने के बाद दीदी मेरे लंड को सहलाने लगी और में एक हाथ से दीदी की चूची मसल रहा था और दूसरी चुच्ची को मुह से चूस रहा था बड़ा ही आनंद आ रहा था लंड एकदम से टाइट हो रहा था
इसी तरह मैं दीदी की दोनों चुच्ची को बदल बदल कर चूस रहा था और फिर दीदी ने मेरे मुह को उपर किया और मेरे होठो को चूसने लगी दीदी बहुत गरम हो चुकी थी मैं फिर दीदी की चुच्ची को चूसने लगा दीदी मेरे बालो में हाथ फेर कर बार बार मेरा मुह अपनी चुच्ची पर दबा रही थी मैं अपना एक हाथ फिर से दीदी की चड्डी के भीतर ले जाकर उनकी चूत को सहलाने लगा और दीदी की चुच्ची पैर से अपना होठ फिराते हुए उनके पेट पर लाया और उनकी सुन्दर नाभि को चूम लिया दीदी ने एक आह सी भरी दीदी की चूत एकदम से गीली थी और अपने मुह को दीदी के पेट से रगड़ते हुए दीदी की जांघो के पास लाया और दीदी की जांघो को चाटने लगा मैंने दीदी की चड्डी के एलास्टिक को नीचे की और खीचा पर वह उतरी नहीं मैं फिर से उपर की और आया और दीदी की चूची को चूसने लगा और दीदी को अपनी गांड उठाने का इशारा किया दीदी ने अपने दोनों पैरो को हवा में उठा दिया और मैं दीदी की चड्डी को दीदी की टांगो के उपर से निकल लिया और निकलते ही दीदी के दो गोल गोल सुन्दर चुततड मेरी आँखों के सामने थे और दीदी की चिकनी चूत की फांके रस से भरी हुई मेरी तो जीभ लपलपाने लगी और न चाहते हुए भी दीदी के चुततड को चाटने लगा गोरे गोरे चिकने चिकने और फिर दीदी की चूत पैर अपनी जीभ फिरा दी नमकीन सा कसेला सा स्वाद सा था और जैसे ही मेरी जीभ दीदी की चूत को छुई थी दीदी ने जोर की सिसकी ली और अपने दोनों पाओ को मेरी गर्दन के इर्द गिर्द लपेट लिया और अपने हाथ को मेरे सर पैर रख कर जोर लगाने लगी मैं अपनी दीदी की चूत में अपनी जीभ को घुसेड़ना चाहता था की दीदी ने मुझे टोका की पहले चूत के उपर वाले दाने को जोर जोर से अपनी जीभ से सहलाओ और में जैसे जैसे दीदी की चूत को अपनी जीभ से सहला रहा था वैसे वैसे दीदी की चूत और रस छोड़ रही थी

मै महसुस कर पा रहा था कि दीदी एक्दम गरम हो चुकि थी और मेरा भी धर्य जवाब दे रहा था मै जैसे ही आगे को बध्ने को हुआ तो दीदी बोली कि यश अब बर्दास्त नहि हो रहा है जल्दि से कुछ करो मै खडा हुआ और अपने लोडे को दीदी कि चूत पर रखा और उन्की चूत पर रगरने लगा दीदी बार बार अपने चुत्तड मेरे लोडे कि और उछाल रहि थी और मै अपने लोडे को दीदी कि चूत पर रगडना जारी रखा और दीदी को तरसाता रहा दीदी पूरी तरह से मस्त हो चुकि थी और मेरे द्वरा लन्ड घिसे जाने से दीदी के सब्र का बान्ध टूट गया और बोली कि यश क्या कर रहे हो मै बोला कि दीदी मजे ले रहा हु इसपर दीदी बोली कि मै मरी जा रहि हू और मुझ्से अब बर्दास्त नहि हो रहा है अन्दर डाल दो मैने भी मोके कि नजाकत को समझते हुए एक जोर का झटका दिया और मेरा गबरु जवान निशा की चूत के भीतर दाखिळ हुआ और दीदी के मुह से जोर कि आह निकली मेरा लगभग आधा लॊडा दीदी कि मस्त चूत मे दाखिल हो चुका था और दीदी हल्की हल्की आह भर रहि थी मैने दीदी से पुछा कि दीदी तुम सही तो हो ना तो दीदी बोली कि तु मेरी चिन्ता करना छोड और घुसा दे अपनी दीदी कि चूत मे पुरा का पुरा लोडा और मैने भी जोश जोश मे एक जोर का धक्का मारा और इस बार दीदी के और मेरे दोनो के मुह से जोर कि आह निकली मेरे लोडे के उपर कि चमडी खिच गयी थी और दर्द भी हो रहा था मै निशा कि चूत को अपने लन्ड के चारो और जोन्क कि तरह चिपकी हुइ महसुस कर पा रहा था कुछ देर मै और दीदी बिना हिले डुले पडे रहे थोडी देर के बाद मुझे मह्सुस हुआ कि जैसे दीदी कि चूत कि पकड मेरे लन्ड से कभी धिलि हो रहि थी तो कभि मेरे लन्ड पर कसाब डाल रहि थी और दीदी कि चूत को कुछ चिकना होते हुए भी मह्सुस किया अभी मेरा पुरा लन्ड दीदी कि चूत मे दाखिल नहि हुआ था मै हल्के हल्के धक्के लगा रहा था और कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ देने लगी और हर धक्के कि रफ़्तार अपने आप हि बड्ति गयी हम दोनो कि सासे एक्दम से तेज हो गयी और दीदी ने मेरे मुह को अपने हाथो मे लिया और मेरे होठो को चुस्ने लगि और मे मस्ति मे जोर जोर से धक्के मारने लगा दीदी ने अपने दोनो पाव मेरे कमर के इर्दगिर्द लपेट दिये और मेरा पुरा सहयोग देने लगी दीदी कि चूत एक्दम से गिली हो चुकि थी और लन्ड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था मै अपना पुरा लन्ड बाहर निकाल कर दीदी कि चूत मे अन्दर तक डाल रहा था दीदि भी पुरी तरह से बदहवास हो चुकी थी कभी जोर जोर से सिस्की लेने लगती तो कभी आह भरने लगती तो कभी मुझे पागलो की तरह से चुमने लगती और कुछ समय बाद दीदी ने मुझे कस के जकड लिय़ा और जोन्क कि तरह मुझ से चिपक गयी मुझे लगा कि शायद दीदी का काम हो चुका है और मेने भी अपनी रफ़्तार को बढा दिया दीदी बोलि कि तुम्हे कितना समय लगेगा तो मैने बिना कुछ कहे १५-२० धक्के और मारे और दीदी के उपर ढह गया हम दोनो पसीने से नहाये हुए थे दोनो कि हि सासे तेजी से चल रही थी और दोनो को हि अपनी मन्जिल तक पहुच्ने का सुकुन था ..