Wednesday, November 3, 2010

मज़ा आयेगा

मैं अपने कमरे में म्यूजिक सुन रही थी कि अचानक किसी गाने के गायक के नाम का नहीं पता होने से अपने भैया को मैंने जोर से आवाज़ दी। घर में मेरे और भैया के सिवा और कोई नहीं था। हमारे माता-पिता किसी रिश्तेदार की शादी में दो दिन के लिए बाहर गए थे। दो-तीन बार बुलाने पर मुझे भैया का कोई जवाब नहीं आया। मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैं अपने कमरे से निकल कर नीचे आई और फिर से आवाज़ दी पर फिर भी कोई जवाब नहीं आया। सारे कमरे मैंने देखे पर भैया कहीं भी नहीं थे। मैं फिर बाथरूम की तरफ गई।

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा धीरे से खोला तो देखा की भैया की जींस घुटनों तक नीचे थी। मुझे लगा कि मेरे भैया ने एक हाथ से अपने पेशाब वाली चीज़ को पकड़ रखा है और उसे आगे पीछे कर रहे हैं। उनके गले से कुछ अजीब सी आवाज़े निकल रही थी। मैं यह सब देख कर दंग रह गई और वहाँ से हिल न सकी। मेरी आँखें उनके पेशाब वाली चीज़ पर अटक गई। वो उस वक्त बहुत लम्बा और मोटा लग रहा था।

मैंने ऐसे अभी तक कुछ नहीं देखा था।

मुझे अचानक लगा कि मेरी टांगों के बीच मैं कुछ होने लगा है। मैं अपने गाने के बारे मैं सब-कुछ भूल चुकी थी।

तब भैया ने नज़र उठा कर मेरी तरफ देखा और एकदम से चौंक गए और अपनी पेशाब वाली चीज़ को हाथों से छुपाने की कोशिश की। पर मैं तो उनकी पेशाब वाली चीज़ को ही देख रही थी कि जैसे किसी ने मुझे मन्त्रमुग्ध कर दिया हो। तब भैया मेरी तरफ बढ़े और मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं भी उनकी तरफ खिंचती चली गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे ऊपर किसी ने कोई जादू कर दिया है।

तभी भैया ने मेरा दायां हाथ पकड़ा और उसे धीरे से अपनी पेशाब वाली चीज़ पर रख दिया। मैंने अभी तक भैया की तरफ नहीं देखा था। मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ अपने हाथ में पकड़ ली और मुझे जैसे करंट सा लगा। उनकी पेशाब वाली चीज़ बहुत गर्म सी थी और उसकी आगे वाली मोरी से कुछ लेस जैसी चीज़ भी निकल रही थी।

भैया ने अपना हाथ मेरे उस हाथ पर रख दिया जिस हाथ से मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ पकड़ रखी थी। उनका हाथ मेरे हाथ पर रखते ही मुझे लगा कि मेरा पेशाब निकल गया है। मेरी कच्छी भीग गई हो पर इस पेशाब करने से मुझे जैसे कोई बेहोशी सी आ गई हो। इस तरह की अनुभूति मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं हुई थी। तब भैया अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर अपनी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगे। थोड़ी देर बाद भैया ने अपना हाथ मेरे हाथ से उठ लिया और मैं तब भी उनकी पेशाब वाली चीज़ आगे पीछे करने लगी। मेरे भैया ने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए। मैं तो जैसे जल उठी और अपने हाथ से जोर जोर से उनकी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगी।

अभी तक हम भाई बहन ने कोई भी शब्द आपस में नहीं बोला था।

अचानक मुझे लगा कि भैया एकदम से अकड़ गए हैं और उसी वक्त उनकी पेशाब वाली मोरी से एक पिचकारी सी निकली और मेरे पेट पर और कई छींटे मेरे मुँह पर पड़े। मेरे भैया उसके बाद एकदम से नीचे बैठ गए और लम्बी सी सांसें लेने लगे। मुझे पता नहीं था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मेरी पेशाब वाली जगह से भी पानी निकल रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या है। यह पेशाब नहीं था पर मैं तो जैसे उड़ रही थी, मेरे जिस्म में एक आग सी लगी थी जो इतना मज़ा दे रही थी कि कुछ न पूछो।

फिर मैंने एक ऊँगली से वो लेस उठाया जो मेरे भैया की पेशाब वाली जगह से निकला था और अपने मुँह में चाट लिया। इतना स्वाद आया कि मैंने हर जगह जो वो लेस गिरा था, अपनी ऊँगली से उठाया और चाटना शुरू कर दिया।

जब मैं वो लेस चाट रही थी तो अचानक भैया ने पूछा- मेरी बहना, स्वाद लग रहा है क्या ?

मैं तो शर्म के मारे जैसे लाल हो गई और अपनी नज़रें नीचे कर ली।

भैया ने कहा- बोल न ? अच्छा लगा मेरा जूस ?

मैंने नज़रें नीचे करके कहा- भैया क्यों पूछते हो ऐसी बातें !

भैया बोले- तूने तो मेरा जूस चख लिया, मुझे भी अपना चखने दे ना !

मैंने कहा- कैसे चखोगे?

भैया बोले- तुझे नंगी होना पड़ेगा !

मैंने कहा- मुझसे यह नहीं होगा।

भैया बोले- तूने तो मुझे नंगा देख ही लिया, तो फिर मैं तुझे क्यों न देखूं ! और मैं तुझसे वादा करता हूँ कि तुझे बहुत ही मज़ा आएगा जब मैं तेरा जूस पिउँगा तो।

मैं कुछ देर कुछ ना बोली तो भैया ने एकदम मुझे अपने बाँहों में घेर लिया और मेरे को चूमना शुरू कर दिया।

उनके हाथ मेरे वक्ष पर आ गए और मुझे लगा जैसे मेरे चुचूक अपने आप अकड़ गए हों। मेरी चूचियाँ छोटी हैं पर बहुत कड़क हैं। मेरे चुचूक काफी लम्बे हैं। मेरे भैया ने मुझे उसी वक्त फर्श पर लिटा दिया और मेरी शोर्ट्स नीचे कर दी। मेरे में कुछ भी हिम्मत नहीं थी कि मैं उनको रोक सकती। मेरे जिस्म में तो जैसे एक आग थी जो बुझना चाहती थी।

मेरे भैया ने मेरी कच्छी भी उतार फेंकी। मैं नीचे से बिल्कुल नंगी हो गई थी। फिर मेरे भैया नीचे झुकते चले गए और अपनी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पे रख दी, मुझे लगा जैसे मेरी जान ही निकल गई हो।

उनकी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पर लगते ही मुझे लगा जैसे मेरा पूरे साल का पेशाब एक बार ही निकल गया हो और मैंने भैया का सर अपनी टांगों में दबा लिया।

भैया ने अपना सर ऊपर किया और पूछा- क्या मैंने गलत कहा था कि तुझे मज़ा आयेगा जब मैं तेरे जूस पिउँगा?

मैंने आँखे बंद किये ही कहा- भैया, प्लीज़ ले लो जितना जूस चाहिए तुम्हें। मैं तो तुम्हारी गुलाम हूँ, जैसे बोलेगे वैसे ही करूँगी।

इससे पहले कि मैं आगे की कहानी बताऊँ, मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ।

मेरी उम्र 18 साल है और कद 5 फ़ुट 5 इंच है। रंग भी काफी गोरा है, मेरे वक्ष भी कसे हुए हैं, इतने बड़े नहीं पर बिल्कुल गोल हैं और मेरे चुचूक काफी लम्बे हैं। गोरी चूचियों पर सांवले रंग के चुचूक बहुत खूबसूरत दिखते हैं। मुझे देख कर लोग कहते हैं कि मैं मॉडल बन सकती हूँ।

मेरे भैया भी खूब लम्बे और सुन्दर हैं। उन पर तो मेरी सारी सहेलियाँ मरती हैं। मैं भी उनको अंदर से चाहती हूँ पर यह तो भाई बहन का प्यार है। मुझे मालूम न था कि यह चाहत और भाई बहन का प्यार उस दिन बाथरूम में किस रूप में बदलेगा।

भैया ने मेरी पेशाब वाली जगह से अपना मुँह हटाया और मेरी तरफ देखा। मुझे तो बेहोशी सी आई हुई थी। मेरी टांगों में जैसे कोई दम ही नहीं था, मेरे सारे जिस्म में खुमारी सी छा गई थी।

इतने में भैया ने लेटे-लेटे ही अपने हाथ मेरी टी-शर्ट के नीचे डाले और मेरे मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने महसूस किया कि उनके छूने से मेरे चुचूक एकदम तन गए हैं और मीठा मीठा सा दर्द हो रहा है।

भैया बोले- क्या मैं तेरी टी-शर्ट भी उतार दूँ?

मैंने कहा- भैया, मैं तो फिर बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी !

भैया बोले- तू कहती हो तो मैं भी अपने कपड़े उतार देता हूँ।

मैंने कहा- भैया मुझे जिंदगी में इतना मज़ा कभी नहीं आया ! आप जो बोलेंगे मैं कर दूँगी।

फिर भैया ने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। मैंने नीचे कोई ब्रा नहीं पहनी थी, मैं अब भैया के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

फिर भैया ने भी अपने बाकी के कपड़े उतार दिए।

हम एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे।

कुछ देर हमने एक दूसरे को ऐसे ही देखा और फिर भैया मेरी तरफ बढ़े और मेरे नंगे जिस्म को अपने नंगे जिस्म से चिपका लिया। उनके होंठ मेरे होंठों से जुड़ गए। उनकी पेशाब वाली चीज़ मेरी पेशाब वाली जगह को छूने लगी।

मेरे जिस्म में फिर से आग सी लग गई, मैंने कहा- भैया, तुम्हारी पेशाब वाली चीज़ फिर बड़ी हो रही है !

भैया बोले- पगली, इसे पेशाब वाली चीज़ नहीं कहते।

फिर क्या कहते हैं भैया? मैंने पूछा।

मेरे भैया अपना मुँह मेरे कान के पास लाये और बोले- इसे लंड कहते हैं।

अपनी जीभ मेरे मुँह में डालते हुए फुसफुसाए- बोल न मेरी बहन, एक बार ! क्या कहते हैं इसे?

मैंने कहा- ओह भैया, यह तुम्हरा लंड फिर कितना मोटा हो गया है और मेरी पेशाब वाली जगह पर मस्ती कर रहा है।

भैया बोले- पगली तेरी पेशाब वाली जगह को चूत कहते हैं।

भैया, तुम्हारा लंड मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा है।

क्या तुझे मेरा लंड अच्छा लगा?

हाँ ! मैंने अपनी नज़र नीचे करके बोला।

तो ले ले ना हाथ में !

मैने उनका लंड हाथ में ले लिया जो अब तक फिर से इतने मोटा और लम्बा हो गया था, कम से कम नौ इंच का होगा।

चल अब बिस्तर पर चलते हैं ! और मेरे कुछ कहने से पहले ही मेरे भैया ने अपना हाथ मेरी नंगी कमर में डाला और मुझे अपने बेडरूम की तरफ ले गए। मैंने अभी भी उनका मोटा लंड अपने दायें हाथ से पकड़ा हुआ था।

बिस्तर पर जा कर मेरे भैया ने पूछा- तुझे अब तक सबसे अच्छा क्या लगा?

मैंने अपनी आंखे नीचे करके कहा- जब मेरी चूत से वो पानी जैसी लेस निकल रही थी तो मैं तो जैसे जन्नत में थी और तुम्हारे लंड से जब पिचकारी छुटी तो उस लेस का स्वाद भी मुझे बहुत अच्छा लगा।

तब भैया बोले- तो पिएगी और मेरे लंड की पिचकारी?

मैंने फिर आंखे नीचे कर के अपनी गर्दन हाँ में हिलाई।

मेरे भैया बोले- तो ले ले मेरे लंड को अपने मुँह में और इसे लॉलीपोप जैसे चूस !

मैंने कहा- भैया, पर यह तो गन्दा होता है, मैं इसे कैसे मुँह में ले लूँ?

भैया बोले- मेरी प्यारी छोटी बहन ! यह गन्दा नहीं होता, यह तो ऐसी चीज़ है जिसके बगैर आदमी और औरत रह ही नहीं सकते।

मेरे भैया ने फिर अपना हाथ मेरे सर पर रखा और उसे अपने लंड की ओर ले गए।

उनका लंड अब मेरे मुँह के पास था। लंड का आगे का मोटा वाला भाग चमक रहा था, उसमें से फिर से लेस जैसा कुछ निकल रहा था। मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसको अपनी जीभ से चाट लिया। उस लेस को चाटते ही मालूम नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने एकदम सो वो मोटा लंड अपने मुँह में डाल लिया और उसे चूसने लगी।

मेरे भैया तो जैसे पागल हो गए और बोले- हाँ मेरी जान हाँ ! प्लीज़ चाट इसे और निकाल ले मेरा जूस और पी जा इसे ! ओह मेरी बहन ..मेरी रंडी बन जा और चूसती रह इसे उम्र भर !

अपने भैया के मुँह से ऐसी बात सुनकर मैं और भी गर्म हो गई और जोर से उनके लंड को चूसने लगी।

मेरे भैया बोले- ओह मेरी जान ! अपनी एक ऊँगली मेरी गांड के छेद में डाल दे !

मैंने वैसा ही किया। अब भैया का लंड मेरे मुँह में था और मेरी एक ऊँगली उनकी टट्टी वाली जगह में थी।

उनके हाथ मेरे दोनों मम्में दबा रहे थे, मेरे टांगों के बीच से भी पानी जैसी लेस निकल रही थी।

अचानक भैया एकदम से अकड़ गए और बोले- ओह मेरी जान, मेरी बहन, मेरी रंडी ! मेरा छुटने वाला है !

और मैंने ऊँगली उनकी टट्टी वाली जगह में और जोर घुसाई तो वो बोले- हाँ मेरी जान, घुसा दे अपनी ऊँगली मेरी गांड में !(तब मुझे पता चला कि टट्टी वाली जगह को गांड कहते हैं)

उसी वक्त भैया ने अपने लंड को मेरे मुँह में एक झटका दिया और बहुत तेज़ पिचकारी छोड़ी। गर्म गर्म लेस उनके लंड से निकला और मेरे मुँह में गया। वो इतनी तेज़ी से आया था कि मुँह से बाहर भी निकल गया।

पर मैं तो एक एक एक बूंद को चाटने लगी, जो लेस मेरे मुँह से बाहर निकला था उसे मैं अपनी ऊँगली से अपने मुँह में डालने लगी और मेरे भैया का लंड मेरे मुँह में छोटा होने लगा पर मैंने उसे मुँह में ही रखा और धीरे धीरे चूसती रही जब तक कि आखरी बून्द उसमें से नहीं निकल चुकी थी। अब तक मेरी चूत से भी दो बार लेस छुट चुकी थी।